एंड्रॉयड एपल मोबाइल स्कैम : मोबाइल फोन आज के समय की सबसे जरूरी जरूरत बन चुके हैं। एंड्रॉयड और एपल (iPhone) दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। लेकिन इस डिजिटल युग में मोबाइल स्कैम की घटनाएं भी काफी बढ़ गई हैं, जो यूजर्स के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं। हाल ही में गूगल ने इस विषय पर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि एंड्रॉयड और एपल मोबाइल स्कैम को रोकने में कौन बेहतर है। इस ब्लॉग पोस्ट में इस खुलासे, दोनों प्लेटफॉर्म की सुरक्षा विशेषताओं, और स्कैम से बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मोबाइल स्कैम: आज की बड़ी चुनौती
मोबाइल स्कैम का मतलब है ग्राहकों को धोखा देकर उनके निजी डेटा, पैसे, या संवेदनशील जानकारी चुराना। यह स्कैम कई तरीकों से हो सकते हैं जैसे फ़ेक कॉल, SMS, फिशिंग, मैलवेयर अटैक, नकली ऐप डाउनलोड आदि। आजकल स्कैमर्स लगातार नए-नए तरीके खोज रहे हैं जिससे वे आसानी से यूजर को फंसाएं और लाभ कमाएं।

गूगल का खुलासा
हाल ही में गूगल ने अपने अध्ययन में बताया कि एंड्रॉयड डिवाइसेज पर आने वाले स्कैम अटैक्स की संख्या एपल डिवाइसेज की तुलना में ज्यादा होती है। इसका कारण है एंड्रॉयड का खुला प्लेटफॉर्म (Open Source) होना, जिससे फर्जी ऐप्स और मैलवेयर के आने की अधिक संभावना रहती है। जबकि एपल iOS एक बंद और नियंत्रित सिस्टम है, जहां ऐप्स को App Store में आने के लिए कड़े मानदंडों से गुजरना पड़ता है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एपल फ्रेमवर्क पूरी तरह सुरक्षित है। कई बार iOS यूजर्स भी फिशिंग और सोशल इंजीनियरिंग स्कैम का शिकार होते हैं।
एंड्रॉयड मोबाइल स्कैम रोकने में चैलेंज
- खुला सिस्टम होने के कारण प्ले स्टोर के अलावा थर्ड पार्टी ऐप्स इंस्टॉल करने की सुविधा।
- विभिन्न डिवाइसेज और कस्टम इंटरफेस की वजह से सिक्योरिटी पैच हर डिवाइस पर समय पर नहीं आते।
- कई बार उपयोगकर्ता बिना जांचे-परखे ऐप डाउनलोड कर लेते हैं, जो मैलवेयर का माध्यम बन सकता है।
एपल मोबाइल स्कैम रोकने में बेहतर क्यों?
- ऐप स्टोर पर सख्त जांच प्रक्रिया होती है, जिससे फर्जी ऐप्स कम होते हैं।
- iOS अपडेट लगभग सभी डिवाइसेज पर एक साथ उपलब्ध होता है।
- एन्क्रिप्शन और प्राइवेसी फीचर्स अधिक मजबूत हैं।
- फिशिंग और मैलवेयर अटैक को रोकने के लिए बेहतर स्क्रीनिंग तकनीकें इस्तेमाल होती हैं।
दोनों प्लेटफॉर्म के लिए सुरक्षा सुझाव
- सिर्फ विश्वसनीय स्रोतों से ही ऐप डाउनलोड करें।
- संदिग्ध कॉल, मैसेज या लिंक पर क्लिक करने से बचें।
- नियमित रूप से मोबाइल OS और ऐप अपडेट करें।
- मोबाइल में एंटीवायरस ऐप इंस्टॉल करें (विशेषकर एंड्रॉयड में)।
- मोबाइल पर 2 फैक्टर ऑथेंटिकेशन सक्रिय करें।
- सार्वजनिक वाई-फाई का सावधानीपूर्वक उपयोग करें।
निष्कर्ष: कौन बेहतर?
अगर केवल मोबाइल स्कैम रोकने की क्षमता की बात करें, तो एपल iOS को एंड्रॉयड से बेहतर माना जाता है क्योंकि इसका नियंत्रित और सख्त इकोसिस्टम है। लेकिन यह भी जरूरी है कि यूजर अपने मोबाइल के प्रति जागरूक रहें, दोनों प्लेटफॉर्म में सुरक्षा मानकों को समय-समय पर अपडेट करें और सावधानी बरतें। अंततः तकनीक से ज्यादा जरूरी है यूजर का सतर्क रहना।












