यूपी के किसानों के लिए अलर्ट यूपी के किसान अब पराली जलाने से बचें, नहीं तो उन्हें 30 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है और कई सरकारी योजनाओं से वंचित भी किया जा सकता है। यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी है।
यूपी के किसानों के लिए अलर्ट पराली जलाने पर 30 हजार रुपये जुर्माना और योजनाओं से वंचित होंगे किसान
उत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। पराली जलाने वाले किसानों पर अधिकतम 30 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई किसान लगातार दो बार ऐसा करता पाया जाता है, तो उसे विभागीय योजनाओं से भी वंचित कर दिया जाएगा। यह कदम मृदा की उर्वरा शक्ति बचाने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उठाया गया है। पराली जलाने से मिट्टी में उपलब्ध कार्बन नष्ट हो जाता है, जिससे जमीन की उपजाऊ शक्ति घटती है।
पराली जलाने पर जुर्माने का कानूनी प्रावधान

उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर लागू जुर्माना प्रणाली, जुर्माने की राशि और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत इसके कानूनी पक्ष की व्याख्या। किसानों को समझाना कि हर खेत के हिसाब से जुर्माना कैसे तय होता है।
पर्यावरणीय नुकसान और मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर प्रभाव
पराली जलाने के कारण वायु प्रदूषण, स्वास्थ्य पर प्रभाव और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कैसे घटती है, इसके वैज्ञानिक तथ्यों और विशेषज्ञों की राय के साथ।
राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई और निगरानी व्यवस्थाएं
पराली जलाने पर यूपी सरकार की वर्तमान नीतियां, सख्त निगरानी, राजस्व और कृषि विभागों की भूमिका, और किसानों के खिलाफ की जा रही कार्रवाईयों का विस्तृत विवरण।
सरकारी योजनाएं और किसानों को मिलने वाले नुकसान
पराली जलाने वालों को किन-किन सरकारी योजनाओं और सब्सिडी से
वंचित किया जा सकता है, खासकर ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ जैसी पोर्टल से
जुड़ी प्रतिबंधों और उनके प्रभाव पर एक समरूप वर्णन।
पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय और उनकी उपलब्धता
पराली जलाने से बचने के लिए किसानों को उपलब्ध तकनीकी और
अन्य सरकारी उपाय जैसे फसल अवशेष प्रबंधन योजना,
कंपोस्टिंग, गोबर खाद उत्पादन आदि की जानकारी।
किसानों के लिए जागरूकता और सामाजिक अभियान
सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान,
किसानों का सहयोग और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनकी भूमिका पर चर्चा।
भविष्य की संभावनाएं और सुधार के उपाय
पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले कदम,
तकनीकी नवाचार, कानूनों में सुधार और बेहतर निगरानी के उपाय।












