Abhinav Bindra: जानिए अभिनव बिंद्रा की जीवन यात्रा, ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने तक का सफर, उनकी उपलब्धियाँ, योगदान और भारतीय युवाओं के लिए उनका प्रेरणादायक संदेश। पढ़ें एक सच्चे चैंपियन की कहानी, हिंदी में।
Abhinav Bindra: भारतीय खेलों का स्वर्णिम सितारा

अभिनव बिंद्रा वह नाम है जिसने भारतीय खेल इतिहास में एक नई इबारत लिखी। 2008 बीजिंग ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर वे भारत के पहले ऐसे खिलाड़ी बने, जिन्होंने ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण थी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अभिनव बिंद्रा का जन्म 28 सितंबर 1982 को देहरादून, उत्तराखंड में एक पंजाबी सिख खत्री परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के दून स्कूल और चंडीगढ़ के सेंट स्टीफेंस स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
निशानेबाजी की शुरुआत
बहुत कम उम्र से ही अभिनव को निशानेबाजी में रुचि थी। उन्होंने टेलीविजन पर निशानेबाजों को देखकर प्रेरणा ली और खुद को इस खेल के लिए समर्पित कर दिया। अपने खेल में उत्कृष्टता पाने के लिए उन्होंने जर्मनी में कोच गेबी बुहल्मन के मार्गदर्शन में भी प्रशिक्षण लिया।
करियर की प्रमुख उपलब्धियाँ
- 15 साल की उम्र में 1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया।
- 2000 में सिडनी ओलंपिक में भारत के सबसे कम उम्र के प्रतिभागी बने।
- 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।
- अपने 22 साल के करियर में 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पदक जीते।
- राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भी कई पदक अपने नाम किए।
अभिनव बिंद्रा का योगदान और विरासत
ओलंपिक स्वर्ण जीतने के बाद अभिनव ने भारतीय खेलों में विज्ञान और तकनीक लाने के लिए कई पहल कीं। उन्होंने ‘अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन’ की स्थापना की, जो भारतीय एथलीटों को वैश्विक स्तर की सुविधाएं और प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है। वे खेल प्रशासन में भी सक्रिय हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलीटों की आवाज़ बनकर उभरे हैं।
सम्मान और पुरस्कार
- अर्जुन पुरस्कार (2000)
- राजीव गांधी खेल रत्न (2002)
- पद्म भूषण (2009)
- ISSF ब्लू क्रॉस (2018)
- ओलंपिक ऑर्डर (2024)
प्रेरणा और संदेश
अभिनव बिंद्रा का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और समर्पण से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। वे कहते हैं:
“अभ्यास एक प्रतिभा है। दृढ़ता एक प्रतिभा है। कड़ी मेहनत एक प्रतिभा है।”
उनकी कहानी आज लाखों युवाओं को अपने सपनों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।
अभिनव बिंद्रा न केवल एक महान खिलाड़ी हैं,
बल्कि वे एक प्रेरणास्रोत, मार्गदर्शक और भारतीय खेलों के सच्चे दूत भी हैं।
उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा मिसाल रहेगा




















