कृष्ण भक्ति में गीत: श्रीकृष्ण की भक्ति में मन को लगाना जितना सरल है, उतना ही सुखद भी।
जब हम “आरती कुंज बिहारी की” जैसे मधुर और भक्तिपूर्ण गीत को अपने हृदय से गाते हैं
तो उसका प्रभाव केवल आत्मा पर ही नहीं, हमारे पूरे जीवन पर पड़ता है।
यह आरती न केवल कानों को मधुर लगती है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और चमत्कारी बदलाव भी लाती है।

आरती कुंज बिहारी की” का महत्व
“आरती कुंज बिहारी की” श्रीकृष्ण की आरती है, जिसे हर भक्त बड़े भाव से गाता है।
यह आरती वृंदावन की गलियों में गूंजने वाली एक ऐसी आराधना है
जिसमें राधा-कृष्ण की लीलाओं और सौंदर्य का वर्णन किया गया है।
मुख्य पंक्तियाँ:
“आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की…”
इन पंक्तियों में कृष्ण को गिरिराजधारी, मुरली मनोहर और
रास रचैया बताया गया है, जिससे उनका सम्पूर्ण स्वरूप उजागर होता है।
🌟 “आरती कुंज बिहारी की” के चमत्कारी लाभ
मानसिक शांति का अनुभव
इस आरती को नियमित गाने या सुनने से तनाव और चिंता दूर होती है।
मन एकाग्र होता है और शांति का अनुभव होता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
घर में सुबह-शाम इस आरती को बजाने से वहां एक
दिव्य वातावरण बनता है। नेगेटिव एनर्जी स्वतः ही दूर हो जाती है।
भक्ति भाव में वृद्धि
यह आरती न केवल मन को श्रीकृष्ण की ओर आकर्षित करती है
बल्कि आत्मा को भी भक्तिभाव से भर देती है।
कठिन समय में संबल देती है
जब जीवन में कोई राह न दिखे, तब यह आरती आंतरिक
शक्ति और भरोसा देती है कि “सब कुछ कृष्ण के हाथ में है।”
ध्यान और साधना में सहायक
ध्यान करने वालों के लिए यह आरती एक शक्तिशाली माध्यम है
जो साधना को गहराई प्रदान करती है।
🙏 कैसे करें “आरती कुंज बिहारी की” का पाठ
आरती के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें: “हे कृष्ण! मेरे जीवन में प्रेम, शांति और भक्ति बनाए रखना।”
सुबह स्नान के बाद श्रीकृष्ण के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाकर श्रद्धा से आरती करें।
हो सके तो आरती के समय घंटी बजाएं और कपूर से आरती उतारें।
आरती कुंज बिहारी की” केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम है जो हमारे मन, घर और जीवन को कृष्णमय बना सकता है।
अगर आप सच्चे मन से इसका अभ्यास करें, तो निश्चित रूप से आप अपने जीवन में चमत्कार देख पाएंगे।