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UGC AICTE NCTE प्रतिस्थापन एकल उच्च शिक्षा नियामक बिल को कैबिनेट की मंजूरी UGC, AICTE और NCTE की जगह लेगा नया आयोग 2025

On: December 13, 2025 9:06 AM
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UGC AICTE NCTE प्रतिस्थापन

UGC AICTE NCTE प्रतिस्थापन : भारतीय उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव आने वाला है! 12 दिसंबर 2025 को केंद्रीय कैबिनेट ने विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण बिल को मंजूरी दे दी है। यह बिल पहले हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल के नाम से जाना जाता था। इस नए कानून से यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) की जगह एक एकल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित होगा। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की प्रमुख सिफारिशों में से एक है, जो उच्च शिक्षा के नियामक तंत्र को सरल और प्रभावी बनाने का लक्ष्य रखता है।

बिल की मुख्य विशेषताएं!

नया नियामक तीन प्रमुख भूमिकाएं निभाएगा:

  • नियमन (Regulation): संस्थानों की मान्यता और संचालन।
  • मान्यता (Accreditation): गुणवत्ता मूल्यांकन।
  • पेशेवर मानक निर्धारण (Professional Standards): शिक्षण और अन्य मानक।
UGC AICTE NCTE प्रतिस्थापन
UGC AICTE NCTE प्रतिस्थापन

फंडिंग इस नियामक के दायरे में नहीं आएगी – यह शिक्षा मंत्रालय के पास रहेगी। मेडिकल और लॉ कॉलेज इस नए नियामक के अंतर्गत नहीं आएंगे, वे अपने मौजूदा नियामकों के अधीन रहेंगे।

यह विचार 2018 में ड्राफ्ट HECI बिल से शुरू हुआ था, जो UGC एक्ट को निरस्त करने का प्रस्ताव रखता था। NEP 2020 ने इसे मजबूत किया, जिसमें कहा गया कि वर्तमान नियामक व्यवस्था में “पूर्ण ओवरहाल” की जरूरत है ताकि अलग-अलग स्वतंत्र निकाय नियम, मान्यता, फंडिंग और मानक तय करें।

उच्च शिक्षा पर क्या असर पड़ेगा?

  • सरलीकरण: कई नियामकों की जगह एक, जिससे ओवरलैपिंग और देरी कम होगी।
  • गुणवत्ता सुधार: मान्यता और मानकों पर फोकस से संस्थान बेहतर होंगे।
  • स्वायत्तता: फंडिंग अलग रखने से मंत्रालय की भूमिका बनी रहेगी।
  • चुनौतियां: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे केंद्रीकरण बढ़ सकता है और राज्यों की भागीदारी कम हो सकती है।

यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में यह NEP 2020 के कार्यान्वयन की दिशा में बड़ा कदम है।

NEP 2020 से जुड़ाव और भविष्य

  • NEP 2020 ने उच्च शिक्षा को विश्व स्तरीय बनाने का लक्ष्य रखा है।
  • एकल नियामक से संस्थानों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और रिसर्च-ओरिएंटेड अप्रोच बढ़ेगा।
  • छात्रों, शिक्षकों और संस्थानों के लिए यह लंबे समय में फायदेमंद साबित होगा।

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