भारत सुरक्षा : “सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि दिल्ली बम धमाके से जुड़े डॉक्टरों का एक आतंकवादी मॉड्यूल था, जो सीरिया और अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों में शामिल होना चाहता था। जांच में यह खुलासा हुआ है कि इन डॉक्टरों को विदेश में जाकर आतंकी गतिविधियों में भाग लेने की योजना थी, लेकिन हैंडलरों ने उन्हें भारत में रहकर हमले करने को कहा। जानिए इस चौंकाने वाली कहानी और आगामी अपडेट्स।

दिल्ली बम धमाके की जांच में डॉक्टरों का आतंकवादी मॉड्यूल: सीरिया-अफगान आतंकी संगठनों से जुड़ने की कोशिश
दिल्ली के लाल किला के पास हुए बम धमाके की जांच में एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों ने यह पाया है कि इस ब्लास्ट के पीछे एक ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ था, जिसमें कई डॉक्टर भी शामिल थे। ये डॉक्टर न केवल भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते थे, बल्कि सीमा पार मौजूद आतंकी आकाओं से प्रभावित होकर सीरिया और अफगानिस्तान जाकर वहां के आतंकवादी समूहों में शामिल होने की इच्छा भी जता चुके थेसुरक्षा एजेंसियों की जांच.
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की संरचना
जांच में सामने आया कि इस मॉड्यूल का नेतृत्व और ट्रेनिंग सीमा पार आतंकी हैंडलरों द्वारा की जा रही थी, जो टेलीग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके डॉक्टरों को कट्टरपंथी विचारधारा और आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित कर रहे थे। डॉ मुजम्मिल गनई, डॉ अदील राठेर, डॉ मुफ़ज़र राठेर और आतंकी हमले के आरोपी डॉ उमर उन नबी मुख्य सदस्यों में थे। इस समूह ने हजारों रुपये जुटा कर हमलों की तैयारी की थी और हथियार भी हथियाए थे। इसके अलावा, AK-47 राइफल और विस्फोटक सामग्री भी इनके पास पाई गईडॉक्टरों का आतंकवादी मॉड्यूल.
सीमा पार न जाने के निर्देश और स्लीपर सेल की भूमिका
आतंकी हैंडलरों ने मॉड्यूल के डॉक्टरों को सीधे सीरिया या अफगानिस्तान जाने से रोक दिया था। इसके बजाय, उन्होंने भारत में स्लीपर सेल बनकर रहकर आतंकी हमले करने का आदेश दिया। इस रणनीति का मकसद था कि डॉक्टरों का एक नेटवर्क भारत में रह कर गुप्त रूप से काम करे, जिससे आतंकवाद को स्थानीय स्तर पर अंजाम दिया जा सके और विदेशी गुप्तचर एजेंसियों की निगरानी से बचा जा सके.
जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन
जांच में यह भी पता चला है कि यह डॉक्टर मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकी संगठनों से प्रभावित था। इस नेटवर्क में शामिल मौलवी इरफान अहमद ने कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और भर्ती में अहम भूमिका निभाई। आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंडिंग, हथियारों की खरीद और लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था इस समूह ने की थी, जिससे इसका स्तर बेहद संगठित नजर आता है.
आधुनिक आतंकवाद की नई रणनीति
यह मॉड्यूल इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे आधुनिक आतंकवादी
उच्चशिक्षित और पेशेवर वर्ग को अपनी योजना में शामिल कर रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए भर्ती,
वर्चुअल ट्रेनिंग और कट्टरपंथी विचारों का प्रसार किया जा रहा है।
इस तरह की रणनीति के कारण आतंकवाद अब केवल भौतिक तौर पर लड़ाई नहीं
बल्कि मानसिक और डिजिटल युद्ध भी बन गया हैआधुनिक आतंकवाद.
सुरक्षात्मक चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस मॉड्यूल की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
न केवल आतंकवादियों के ठिकाने, हथियारों के स्रोत,
बल्कि फंडिंग के चैनलों का भी पता लगाया जा रहा है।
इसके साथ ही इस तरह की ऑनलाइन कट्टरपंथी गतिविधियों
को रोकने के लिए डिजिटल निगरानी और सामुदायिक
जागरूकता अभियान भी तेज किए जा रहे हैंसुरक्षात्मक चुनौतियाँ.









