प्रदूषण नियंत्रण : दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण फेल, कई इलाकों में AQI 500 से ऊपर पहुंच गया है। GRAP-3 की पाबंदियां प्रदूषण को कम करने में नाकाफी साबित हो रही हैं। जनता स्वास्थ्य जोखिम से जूझ रही है, और विशेषज्ञों ने सख्त कदम उठाने की जरूरत जताई है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण क्यों फेल रहा है?
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण एक गहरी चिंता का विषय बन चुका है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार पहुंच गया है, जो खतरनाक स्तर को दर्शाता है। इस स्तर की हवा के संपर्क में आने से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से, GRAP-3 पाबंदियां जो प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू की गई थीं, वे अब निरर्थक साबित हो रही हैं।
AQI का वास्तविक प्रभाव
AQI 500 से ऊपर पहुंचने का मतलब है कि हवा में मौजूद प्रदूषक इतने अधिक हैं कि यह सांस लेने वालों के लिए अत्यंत हानिकारक है। दिल्ली के लोकप्रिय इलाकों जैसे आनंद विहार, वजीरपुर, चांदनी चौक, और पटपड़गंज में यह स्तर पहले से ही दर्ज किया जा चुका है। इस प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, सिरदर्द, और अन्य श्वसन समस्याएं हो रही हैं। खासकर बुजुर्ग, बच्चे, और पहले से बीमार व्यक्ति इसके सबसे अधिक शिकार हैं।
GRAP-3 योजनाओं का विफल रहना
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) की तीसरी चरण यानी GRAP-3 लागू करने का उद्देश्य प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए प्रभावी नियंत्रण करना था। इसमें निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, कचरा जलाने पर रोक, वाहनों के उत्सर्जन की जांच जैसी कई कड़ाई शामिल थी। इसके बावजूद, प्रदूषण की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों का पालन कड़ाई से नहीं हो रहा, साथ ही प्रदूषक स्रोतों की संख्या और विविधता अधिक होने से नियंत्रण में कठिनाई आ रही है।
प्रदूषण के मुख्य कारण
एनसीआर में प्रदूषण के कई स्रोत हैं। शीतकालीन मौसम की वजह से धुंध और स्मॉग अधिक टिकता है, जिससे त्रासदी और बढ़ जाती है। इसके अलावा, आसपास के राज्यों से पराली जलाने का भी प्रदूषण पर भारी प्रभाव पड़ता है। वाहनों का बढ़ता ट्रैफिक, औद्योगिक उत्सर्जन, और निर्माण कार्य भी प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारण हैं। हवा में मौजूद पीएम2.5 और पीएम10 पार्टिकल्स स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं, और इनका स्तर इस वक्त अक्सर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से कई गुना ऊपर रहता है।
सरकार और प्रशासन का प्रयास
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे वाहनों पर प्रतिबंध, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ाना। इसके बावजूद, कार्यान्वयन में बाधाएं आई हैं। नागरिकों को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों से बचें। प्रशासन को कड़े नियम लागू कर नियमित निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी।
नागरिकों के लिए सुझाव
- घरों के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
- जब हवा ज्यादा खराब हो, तब बाहर निकलने से बचें।
- एन-95 मास्क का इस्तेमाल करें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को।
- पौष्टिक भोजन लें और पानी खूब पियें।
- यदि सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप ले चुका है और AQI 500 के पार पहुंचना चिंताजनक है।
GRAP-3 की पाबंदियां अब प्रभावी नहीं रह गई हैं,
इसलिए सरकार को और सख्त कदम उठाने होंगे। साथ ही,
हमें अपने स्तर पर भी प्रदूषण कम करने के उपाय करने होंगे।
तभी हम खुद की और आने वाली पीढ़ी की सेहत को सुरक्षित रख पाएंगे।







