राजनीतिक विश्लेषण : शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस अब पहले से अधिक वामपंथी हो गई है ताकि BJP की विभाजनकारी नीतियों का मुकाबला किया जा सके। उन्होंने पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र और वैचारिक बदलाव पर भी जोर दिया।”

कांग्रेस का वामपंथी रूख क्यों बढ़ा?
शशि थरूर के अनुसार, कांग्रेस ने हाल के वर्षों में अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को वामपंथ की ओर मोड़ा है ताकि वह बीजेपी की सामाजिक और राजनीतिक विभाजनकारी नीतियों का सफलतापूर्वक मुकाबला कर सके। उन्होंने यह भी माना कि यह केवल रणनीतिक समायोजन नहीं बल्कि एक वैचारिक बदलाव भी हो सकता है। हाल के वर्षों में कांग्रेस ने अपने मुद्दों को मध्यम वर्ग और गरीब जनता की ओर केंद्रित किया है, जो परंपरागत वामपंथी विचारधारा के अनुरूप है।
मनमोहन सिंह के दौर की कांग्रेस: एक तुलना
शशि थरूर ने कांग्रेस के पहले के चरण की तुलना वर्तमान स्थिति से करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पार्टी ज्यादा मध्यमार्गी और सचेतन थी। उस समय पार्टी की नीतियां समकालीन आर्थिक उदारीकरण के अनुरूप थीं, जिनका कुछ हिस्सा बीजेपी सरकार ने भी अपनाया था। 1991 से 2009 तक का यह दौर भारतीय राजनीति में एक संतुलित और केंद्रित समय था।
बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ कांग्रेस की प्रतिक्रिया
भाजपा की नीतियों को लेकर शशि थरूर ने कहा कि पार्टी की रणनीति और वैचारिक बदलाव के पीछे मुख्य कारण भाजपा की सामाजिक और धार्मिक विभाजनकारी राजनीति है। कांग्रेस इसे रोकने के लिए वामपंथ की दिशा में अपने रुख को और मज़बूत कर रही है ताकि सभी वर्गों के लोगों को जोड़कर एकजुट किया जा सके। थरूर का मानना है कि लोकतांत्रिक राजनीति में विचारधारा के साथ-साथ आंतरिक लोकतंत्र भी बेहद जरूरी है, जिस पर कांग्रेस विशेष ध्यान दे रही है।
शशि थरूर के विचार और राजनीतिक सिद्धांत
थरूर ने अपनी बातों में ‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ (कट्टर केंद्रीयता) और राजनीतिक समायोजन की अहमियत पर भी जोर दिया। उनका कहना है कि भारत की राजनीतिक परिस्थिति में रणनीतिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, जिसमें विचारधारा का संतुलन भी शामिल है। कांग्रेस का यह वामपंथी झुकाव एक गहरा वैचारिक समायोजन हो सकता है, जो रणनीति से कहीं अधिक है।
कांग्रेस के लिए भविष्य की राह
शशि थरूर के अनुसार, कांग्रेस को अब पहले से ज्यादा मजबूत और संगठित होने की जरूरत है।
पार्टी को अपनी वैचारिक स्पष्टता के साथ-साथ चुनावी रणनीति भी व्यापक बनानी होगी ताकि विपक्ष में रहने के बावजूद मजबूत विकल्प प्रस्तुत कर सके।
उन्होंने कांग्रेस में प्रक्रिया आधारित लोकतंत्र और नए युवा नेतृत्व को प्रोत्साहित करने की बात भी की,
जो पार्टी की नवीनता और सक्रियता दोनों बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
कांग्रेस का वर्तमान वामपंथी झुकाव बीजेपी
की विभाजनकारी नीतियों के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है।
शशि थरूर के विचारों से स्पष्ट होता है कि
कांग्रेस न केवल चुनावी गणित बदलना चाहती है,
बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी एक मजबूत
और सामाजिक रूप से समावेशी पक्ष बनना चाहती है।
राजनीतिक परिदृश्य में यह बदलाव पार्टी के
लिए नई चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आया है।
आने वाले समय में कांग्रेस के इस नये राजनीतिक
रुख की गहनता और प्रभाव दोनों देखने योग्य होंगे।












