मिथिला कोसी तिरहुत रिकॉर्ड वोटिंग NDA : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मिथिला, कोसी और तिरहुत क्षेत्र में रिकॉर्ड वोटिंग हुई है, जो राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। इन क्षेत्रों से एनडीए को पिछले चुनावों में मजबूत बढ़त मिली थी, और इस बार भी भारी मतदान के बाद एनडीए को सत्ता में वापसी का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इस ब्लॉग में इस रिकॉर्ड वोटिंग के राजनीतिक मायने, क्षेत्रीय समीकरण और आगामी चुनावी परिदृश्य का विश्लेषण किया गया है।
रिकॉर्ड मतदान की विशेषताएं
चुनाव आयोग के अनुसार, मिथिलांचल, कोसी और तिरहुत क्षेत्रों में लगभग 65 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो बिहार में अब तक की सबसे उच्च मतदान दरों में से एक है। मुजफ्फरपुर में 71.41 फीसदी, समस्तीपुर में 71.74 फीसदी और बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा एवं वैशाली में भी 65 फीसदी से ऊपर मतदान दर्ज हुआ। पटना इस सूची में सबसे नीचे रहा जहां मतदान दर केवल 58.40 फीसदी रही।

चुनावी महत्व और पिछले चुनावों से तुलना
- उत्तर बिहार के इन तीन क्षेत्रों में एनडीए ने बीते चुनावों में लगातार बढ़त बनाई है।
- 2020 में एनडीए को मिथिलांचल में बढ़त मिली थी और यह आगे भी जारी रहने के संकेत हैं।
- मिथिला की 42 सीटों में से एनडीए को इस बार 31 सीटें मिलने का अनुमान है।
- तिरहुत की 49 सीटों में से 35 सीटों पर एनडीए को बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
- ये आंकड़े एनडीए की राजनीतिक पकड़ को दर्शाते हैं और यह दिखाते हैं
- कि वहां की जनता विकास और स्थिरता को महत्व देती है।
क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण
मिथिला, कोसी और तिरहुत जैसे जिलों में सांस्कृतिक और सामाजिक बुनावट भी चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डालती है। पिछले चुनावों में महागठबंधन का प्रभाव था, पर इस बार एनडीए की विकास योजनाओं, महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं और रोजगार सृजन की नीतियों ने मतदाताओं का मनोबल बढ़ाया है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने भी एनडीए को फायदा पहुंचाया है क्योंकि सरकार की योजनाएँ जैसे साइकिल योजना, 10,000 रुपये सहायता योजना आदि महिलाओं में लोकप्रिय हैं।
NDA के लिए सकारात्मक संकेत
- यह रिकॉर्ड मतदान एनडीए के लिए स्पष्ट संकेत है कि जनता ने उनके
- विकास कार्यों और शासन के प्रति विश्वास जताया है।
- एनडीए इसे जनसमर्थन का प्रमाण मान रहा है और समझ रहा है
- कि बिहार की जनता स्थिरता में विश्वास रखती है।
- विपक्ष इसे बदलाव की लहर मान रहा है, लेकिन वर्तमान आंकड़े एनडीए की सत्ता में वापसी की ओर इशारा करते हैं।
आगामी चुनौतियां और संभावनाएँ!
- हालांकि भारी मतदान होने के बावजूद बिहार की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
- सीमांचल क्षेत्र में महागठबंधन को कुछ उम्मीदें हैं, वहीं जनसुराज पार्टी वोट को बांटने
- और किंगमेकर की भूमिका निभाने की स्थिति में है। चुनावी नतीजों का फैसला स्थानीय मुद्दों
- जातीय समीकरण और विकास की योजनाओं की सफलता पर निर्भर करेगा।









