बिहार रोजगार वादा : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रोजगार एक बार फिर से सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दोनों ने लाखों नौकरियों के बड़े-बड़े वादे किए हैं। नीतीश कुमार ने अगले पांच सालों में एक करोड़ युवाओं को नौकरी देने का संकल्प जताया है, वहीं तेजस्वी यादव ने यह वादा किया है कि उनकी सरकार बनने पर हर परिवार को एक सरकारी नौकरी मिलेगी। लेकिन बिहार के युवाओं की प्रतिक्रिया इन वादों को लेकर सकारात्मक नहीं है, बल्कि वे इन वादों पर भरोसा करने को लेकर हिचकिचा रहे हैं।
रोजगार वादे और युवा नाराजगी
पिछले पांच सालों में बिहार में बेरोजगारी दर में कोई खास गिरावट नहीं आई है। भर्ती परीक्षाओं का रद्द होना, पेपर लीक, छात्रों और पुलिस के बीच भिड़ंत जैसी घटनाओं ने युवाओं के मन में असंतोष बढ़ा दिया है। अधिकतर युवा अब इन चुनावी वादों को “जुमला” या झूठा सपना मानने लगे हैं। 26.4 फीसदी तक पहुंच चुकी युवाओं की बेरोजगारी दर ने उन्हें कटु अनुभव दिया है। तेजस्वी यादव का हर घर को नौकरी देने का वादा सुनकर भी कई युवा सवाल करते हैं कि यह संभव कैसे होगा? राज्य का बजट और प्रशासनिक संसाधन इतनी बड़ी भर्ती के लिए तैयार नहीं हैं।

नीतीश कुमार के रोजगार संकल्प
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया है कि उन्होंने अब तक 10 लाख युवाओं को नौकरी दी है और आने वाले पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाएंगे। यह रोजगार योजना केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसमें निजी उद्योगों और कौशल विकास पर भी बल दिया जाएगा। उन्होंने सात एक्सप्रेसवे, मेगा औद्योगिक पार्क जैसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का जिक्र करते हुए बिहार को रोजगार के लिहाज से विकसित राज्य बनाने का रोडमैप प्रस्तुत किया है।
तेजस्वी यादव के रोजगार वादे!
- तेजस्वी यादव के रोजगार वादे युवाओं को बड़ी राहत देने वाले दिखते हैं। उनके हर परिवार को सरकारी
- नौकरी देने की योजना के साथ ही, उन्होंने संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नौकरी देने
- जीविका दीदियों को ₹30,000 मासिक वेतन देने, साथ ही बेरोजगारी भत्ता देने जैसे बड़े कदमों का वादा किया है।
- हालांकि, ये योजनाएं व्यावहारिकता और बजट पर कई सवाल खड़े करती हैं। तेजस्वी यादव ने इसका जवाब देते हुए
- कहा कि यह युवाओं का हक है और उनके लिए सरकार बनने पर जल्द से जल्द यह लागू होगा।
युवाओं के बीच भारी असंतोष और संशय
राज्य की युवा पीढ़ी चुनावी वादों को लेकर बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं है। सोशल मीडिया और आम बातचीत में यह देखा जा रहा है कि युवा अब पार्टी घोषणापत्र और वादों पर भरोसा नहीं करते। तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की सरकारों ने पिछले चुनावों में रोजगार के मुद्दे पर बड़े वादे किए थे, लेकिन उनका क्रियान्वयन अधूरा रहा। इस कारण युवा वर्ग में निराशा और हताशा गहराती जा रही है। उनका कहना है कि केवल वादे नहीं बल्कि ठोस कार्य योजनाओं और त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।
विशेषज्ञों की राय और विश्लेषण
- विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन का “हर परिवार को नौकरी” का वादा बजट, प्रशासनिक
- तैयारियों और राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अव्यवहारिक है।
- वहीं, एनडीए का निजी क्षेत्र में निवेश और कौशल विकास पर जोर रोजगार सृजन का सही रास्ता है
- लेकिन इसे भी लागू करने में कई चुनौतियां सामने हैं। इसलिए युवाओं की उम्मीदें
- अभी भी अधूरी हैं और चुनाव के बाद क्या होगा, यह देखना बाकी है।
भरोसा या झूठेवापस?
नीतीश और तेजस्वी दोनों ने बिहार के युवाओं को बड़े रोजगार के सपने दिखाए हैं, लेकिन पिछले अनुभवों के चलते आज के युवा इन वादों को लेकर संशय में हैं। वे अब नेताओं पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते और चाहते हैं कि उनके लिए वास्तविक और कायम योजना लाई जाए, जो रोजगार प्रदान करे और उनकी जिंदगी में सुधार लाए। इसके बिना, बिहार में युवा मतदान में उत्साह कम हो सकता है और राजनीतिक दलों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।










