केरल रेप केस : केरल में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना। मां ने अपनी बच्ची के साथ जो किया उसे जानकर हर कोई हैरान है।
केरल के कोज़िकोड जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने समाज को हिलाकर रख दिया। यहां एक मां ने अपनी 12 वर्षीय बेटी को शराब पिलाने के बाद अपनी सहमति से उसके साथ रेप करने के लिए अपने दोस्त को लाया। इस घटना ने दर्शाया है कि कैसे परिवार के अंदर भी बच्चे सुरक्षित नहीं रह गए हैं।
घटना का विवरण

कोज़िकोड की एक महिला पर आरोप है कि उसने अपनी 12 वर्षीय बेटी के साथ वर्षों तक अत्याचार किया। अदालत के मुताबिक, वह महिला अपने प्रेमी के साथ रहती थी और दोनों ने मिलकर बच्ची के साथ बेरहमी से दुरुपयोग किया। बच्ची को शराब पीने के लिए मजबूर किया जाता था ताकि वह डर कर चुप रहे। इस घटना का खुलासा तब हुआ जब बच्ची ने अपनी पीड़ा किसी को बतानी शुरू की और मामले की शिकायत पुलिस को की गई।
विशेष पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले में महिला और उसके साथी को कठोर सजा सुनाई है, जो कुल 180 साल की कड़ी जेल की सजा के रूप में दी गई है। इसके अलावा कोर्ट ने दोनों पर भारी जुर्माना लगाया है, जिसे न देने पर उनकी जेल की अवधि और बढ़ाई जाएगी।
मां की भूमिका बहुत चिंताजनक
- इस मामले की सबसे चिंताजनक बात यह है कि खुद मां ने जो प्यार की उम्मीद होनी चाहिए थी
- उसे खत्म कर दिया। उसने न केवल अपनी बेटी को पीड़ित बनाया
- बल्कि उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से छोड़ दी।
- बच्ची को शराब पिलाना और फिर रेप करवाना इस बात का प्रमाण है
- कि समाज में कितनी विकृतियां घर के अंदर भी पनप रही हैं।
पुलिस और कोर्ट ने बताया कि महिला ने बच्ची को धमकी देकर चुप रखने की कोशिश भी की, उसने कहा कि उसके दिमाग में एक चिप लगाई गई है जो उसकी बात सबको बताएगी। यह मनोवैज्ञानिक दमन की एक घिनौनी मिसाल है।
समाज और सरकार की भूमिका
इस गंभीर मामला ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाए गए कानूनों और व्यवस्था की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यह एक बड़ी कामयाबी है
- कि दोषियों को कठोर सजा मिली है, लेकिन ऐसे मामलों को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
- सामाजिक जागरूकता, कड़े कानून और उनकी कड़ी निगरानी से ही इन घटनाओं को कम किया जा सकता है।
- सरकार ने भी इस मामले में कहा है कि ऐसे अपराधों के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
- बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- इसके लिए स्कूल, स्थानीय प्रशासन और पुलिस को मिलकर काम करना होगा।
बच्चों को मजबूत बनाना ज़रूरी
- समाज में बच्चों को शिक्षित और सशक्त बनाने की भी जरूरत है
- ताकि वे बदसूरत परिस्थितियों में भी आवाज़ उठाने के लिए साहस जुटा सकें।
- अभिभावकों के लिए इसे जिम्मेदारी समझना होगा कि वे अपने बच्चों
- के साथ खुलकर संवाद करें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
- स्कूलों में भी बच्चों को उनकी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना होगा कि अगर वे किसी भी प्रकार
- के यौन शोषण के शिकार होते हैं तो वे डरें नहीं और तुरंत बड़ी आवाज़ उठाएं।
केरल में हुई यह दिल दहला देने वाली घटना एक कड़ी चेतावनी है कि आज के समय में हमें बच्चों के लिए और भी मजबूत सुरक्षा तंत्र विकसित करना होगा। परिवार से लेकर समाज तक, हर स्तर पर जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार की हिंसा से बचाएं।










