तिगरी मेला 2025 में मां गंगा का आह्वान सुनकर हजारों श्रद्धालु बुलंदशहर पहुंचे। यह स्थान पौराणिक महत्व रखता है, जहां पांडवों ने महाभारत काल में तप व निवास किया था।
तिगरी मेला 2025: तिगरी मेले में उमड़ी श्रद्धा की अपार भीड़
हर साल की तरह इस बार भी तिगरी मेला 2025 में मां गंगा के दर्शन को श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी।गंगा तट पर आस्था, भक्ति और धार्मिक उत्साह से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।यह वही पवित्र स्थल है जहां पांडवों ने महाभारत काल के दौरान तप किया था।स्थानीय प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मेले की व्यवस्था को लेकर खास तैयारी की है।भक्त गंगा स्नान कर मां गंगा से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।

तिगरी मेला 2025: मां गंगा का बुलावा
हर साल की तरह इस वर्ष भी तिगरी मेला 2025 ने धार्मिक उत्साह और आस्था का केंद्र बनकर हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। मां गंगा के आशीर्वाद के लिए श्रद्धालु दूर-दूर के राज्यों से बुलंदशहर पहुंचे। गंगा तट पर भक्तों की भीड़, दीपों की रौशनी और भक्ति की ध्वनियों से वातावरण शिवमय हो उठा।
तिगरी मेले का ऐतिहासिक महत्व
तिगरी मेले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। लोककथाओं के अनुसार, पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इसी पवित्र स्थल पर तप और निवास किया था। इसी कारण यह स्थान तीर्थों में विशेष स्थान रखता है। यहां आकर गंगा स्नान करना मोक्षदायी माना जाता है।
गंगा तट पर उमड़ी आस्था की भीड़
सुबह से ही गंगा तट पर भक्तों का सैलाब देखा गया। श्रद्धालु मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई भक्ति भावना में डूबा नजर आया।
भक्तिभाव और सांस्कृतिक रंग
तिगरी मेले में सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रंग भी दिखाई देते हैं। भजन, कीर्तन और झांकी कार्यक्रमों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। स्थानीय कलाकारों ने गंगा महिमा और पांडव कथा पर आधारित प्रस्तुतियों से लोगों को भावविभोर कर दिया।
साधु-संतों का जमावड़ा
हर साल की तरह इस बार भी देशभर से साधु-संतों का संगम यहां देखने को मिला। गंगा तट पर आध्यात्मिक प्रवचन और ध्यान-सत्र आयोजित किए गए, जिनमें भक्तजन बड़ी संख्या में शामिल हुए। संतों ने गंगा की पवित्रता और मानवता के संदेश पर प्रकाश डाला।
प्रशासन की सख्त व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष तैयारी की है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त
पुलिस बल तैनात किया गया है, साथ ही चिकित्सा व जल आपूर्ति जैसी सुविधाओं की भी निगरानी की जा
रही है। प्रशासन की तत्परता से मेला शांतिपूर्वक संपन्न हो रहा है।
तिगरी मेला पर्यटन के रूप में
धार्मिक आस्था के साथ यह मेला अब पर्यटन आकर्षण का भी केंद्र बन रहा है। हर साल लाखों
लोग यहां पहुंचकर धार्मिक स्थलों, हस्तशिल्प बाजारों और स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
इस कारण तिगरी मेला बुलंदशहर की पहचान बन गया है।
श्रद्धालुओं की भावनाओं का संगम
यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि आस्था, परंपरा और संस्कृति का संगम है। मां
गंगा की महिमा में डूबे श्रद्धालु जब गंगा तट पर दीप प्रवाहित करते हैं, तो पूरा दृश्य दिव्य प्रतीत
होता है। तिगरी मेला 2025 ने एक बार फिर साबित किया है कि आस्था का सागर कभी सूखता नहीं।
निष्कर्ष
तिगरी मेला 2025 में मां गंगा के दर्शन को श्रद्धालुओं का सागर उमड़ा है। बुलंदशहर के इस पवित्र
स्थल पर भक्तों ने गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित किया। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने
यहां तप और निवास किया था, जिससे यह स्थान दिव्य और ऐतिहासिक बन गया।
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