CJI vs सरकार : CJI की नाराजगी से केंद्र सरकार में हलचल मच गई है। रिटायरमेंट से पहले CJI और सरकार के बीच मतभेद बढ़ते नजर आ रहे हैं। जानिए पूरे विवाद की वजह और इसके असर के बारे में।
नई दिल्ली से बड़ी खबर: न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका में बढ़ते तनाव के संकेत
देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच लंबे समय से चल रहा टकराव एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने खुले तौर पर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि यह विवाद अब उनके रिटायरमेंट से ठीक पहले और भी गहराने लगा है।

सूत्रों के अनुसार, CJI ने हाल में कई ऐसे मुद्दों पर सख्त टिप्पणी की जिनसे केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठे हैं। इसी बीच सरकार की ओर से कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियों में देरी और फैसलों पर पुनर्विचार की मांग ने न्यायपालिका की स्वायत्तता पर बहस छेड़ दी है।
क्या है विवाद की जड़?
- CJI की नाराजगी सामने आते ही कानून मंत्रालय में बैठकों का दौर तेज हो गया। सरकार चाहती है
- कि यह टकराव सार्वजनिक रूप से न बढ़े, लेकिन अंदरखाने चर्चा यह भी है कि सरकार न्यायिक सुधारों
- के नाम पर कॉलेजियम सिस्टम में बदलाव लाने के लिए रणनीति बना रही है।
इसके अलावा, कुछ संवेदनशील मामलों की सुनवाई के दौरान CJI ने सरकार की ओर से दिए गए हलफनामों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनकी टिप्पणियों को लोगों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के संकेत के रूप में देखा है।
सरकार पर दबाव, लेकिन रुख सख्त
- CJI की नाराजगी सामने आते ही कानून मंत्रालय में बैठकों का दौर तेज हो गया। सरकार चाहती है
- कि यह टकराव सार्वजनिक रूप से न बढ़े, लेकिन अंदरखाने चर्चा यह भी है कि सरकार न्यायिक सुधारों
- के नाम पर कॉलेजियम सिस्टम में बदलाव लाने के लिए रणनीति बना रही है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विवाद और गहराया तो आने वाले समय में इसका असर न्यायिक नियंत्रण और पारदर्शिता पर पड़ सकता है। सरकार फिलहाल आधिकारिक बयान देने से बच रही है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए कोशिशें कर रहा है।
रिटायरमेंट से पहले क्यों बढ़ी सख्ती?
- CJI का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है। ऐसे में उनका तीखा रुख एक तरह से न्यायपालिका
- की स्वायत्तता का अंतिम संदेश माना जा रहा है। उन्होंने कई मंचों पर यह स्पष्ट किया है
- कि न्यायपालिका को किसी भी राजनीतिक दबाव से स्वतंत्र रहना चाहिए।
- विश्लेषकों का कहना है कि इस बयान का सीधा संदेश राजनीतिक गलियारों तक पहुंचा है
- और सरकार इसे हल्के में नहीं ले सकती। यही कारण है कि रिटायरमेंट के दिनों में यह
- विवाद पूरे सिस्टम के लिए एक संकेत बन गया है कि आने वाले समय में भारत की न्याय व्यवस्था किस दिशा में जाएगी।
विपक्ष के बयान और जनता की प्रतिक्रिया
- विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं
- ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश खुद असंतोष जता रहे हैं तो यह सरकार की नीतियों
- पर सवाल उठाता है। वहीं सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
- कई नागरिकों ने CJI के रुख की सराहना करते हुए कहा कि न्यायपालिका का यह सख्त कदम
- लोकतंत्र के लिए जरूरी है। कुछ ने यह भी कहा कि अब देश को पारदर्शी और जवाबदेह
- न्याय व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए जहां नियुक्तियों और फैसलों में किसी राजनीतिक दखल की गुंजाइश न हो।
- अब सभी की नजरें आने वाले कुछ हफ्तों पर हैं जब यह साफ होगा कि क्या केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट
- के बीच कोई समझौता होता है या मामला और गंभीर रूप लेता है। प्रशासनिक सूत्रों का मानना है
- कि सरकार कोशिश करेगी कि नया विवाद उत्पन्न न हो, क्योंकि CJI के रिटायरमेंट के
- बाद भी इसका असर न्यायपालिका पर लंबे समय तक रह सकता है।









