एयर इंडिया प्लेन क्रैश : “एयर इंडिया प्लेन क्रैश 2025 की सबसे चमत्कारी कहानी – जानिए कैसे लाशों के बीच जिंदा बच निकले रमेश, दर्दनाक हादसे से मिली नई जिंदगी।”
12 जून 2025 की सुबह: अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते ही एयर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान भयंकर हादसे का शिकार हो गया। इस दुर्घटना में कुल 241 यात्रियों की जान गई, लेकिन चमत्कारिक रूप से उनमें से एक आदमी – विश्वाशकुमार रमेश – मलबे के बीच जिंदा बच निकले। उनकी कहानी ने पूरे देश को हैरान कर दिया है।
मौत को हराकर लौटा रमेश

रमेश की सीट 11A थी, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी। क्रैश के बाद पूरा विमान मलबे में तब्दील हो गया, चारों ओर सिर्फ लाशें ही लाशें थीं। लेकिन चमत्कार यह हुआ कि रमेश ने जली और टूटी हुई मशीन के बीच से किसी तरह बाहर निकलने का रास्ता तलाशा। उनके शरीर पर चोटें, कंधे, घुटने और कमर में दर्द, जलने के निशान – फिर भी उन्होंने खुद को हर हाल में जिंदा रखने की जिद नहीं छोड़ी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रमेश मलबे से बाहर निकलते वक्त ‘धुएं से घिरे’ और ‘रख से सने’ थे, लेकिन उनकी आंखों में वापस जीने की उम्मीद साफ दिख रही थी।
भाई को खोने का दर्द
- रमेश के लिए सबसे बड़ा सदमा अपने छोटे भाई अजय को खो देना रहा, जो उसी विमान के
- कुछ सीट दूर बैठा था। रमेश ने बताया, “मेरे भाई मेरे सबसे बड़े सहारे थे, जिनका साथ अब
- दुनिया में नहीं है। यह दर्द मेरी पूरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सदमा है”।
चमत्कारिक जिंदा बचना
- रमेश ने बताया कि हादसे के बाद जब वह होश में आए, तो उनके चारों तरफ सिर्फ लाशें थीं
- और उन्हें लग रहा था कि अब बच पाना नामुमकिन है। लेकिन उन्होंने अपनी बची-खुची ताकत
- के साथ खुद को बाहर निकाला। डॉक्टरों का कहना है
- कि इतनी गंभीर दुर्घटना में जिंदा बचना किसी चमत्कार से कम नहीं।
परिवार और समाज पर प्रभाव
- रमेश के परिवार वालों और गांव वालों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। रमेश फिलहाल
- मानसिक तनाव (PTSD) से भी जूझ रहे हैं, और उन्होंने मीडिया को बताया कि वे अब अक्सर अकेले
- रहना पसंद करते हैं, किसी से ज्यादा बात नहीं करते। उनकी पत्नी और बच्चे उन्हें हर दिन नए
- हौसले के साथ जिंदगी का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन मानसिक और शारीरिक दर्द आज भी उनका पीछा नहीं छोड़ता।
आर्थिक संकट – मुआवजे की मांग
दुर्घटना के बाद रमेश का परिवार गहरे आर्थिक संकट में है। उनका फैमिली फिशिंग बिजनेस भी बंद हो गया, और रमेश खुद न तो ठीक से चल सकते हैं, न काम पर जा सकते हैं। एयर इंडिया की ओर से 21,500 पाउंड (करीब 25 लाख रुपए) अंतरिम मुआवजा दिया गया, जो रमेश के अनुसार नाकाफी है।
सरकारी प्रतिक्रिया और मदद की दरकार
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल में जाकर उनका हालचाल जाना था और आश्वस्त किया
- कि उन्हें हरसंभव सरकारी सहायता दी जाएगी। वहीं, रमेश के लिए मानसिक स्वास्थ्य और जीवनयापन
- की योजनाएं भी बनाई जा रही हैं। उनके परिजनों और सलाहकारों का कहना है
- कि एयर इंडिया को विशेष सहानुभूति दिखाते हुए रमेश के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
आगे का रास्ता
फिलहाल रमेश अपनी नई जिंदगी को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे बुरी यादों से बाहर निकलकर अपने परिवार के साथ शांतिपूर्वक जीना चाहते हैं। यह हादसा आने वाले समय में विमानन सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और सरकारी सहयोग के क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ गया है।









