Sarkeet Movie: सर्कीट 2025 की मलयाली पारिवारिक ड्रामा फिल्म है, जिसमें ADHD से जूझ रहे बच्चे और उसके परिवार की भावनात्मक कहानी दिखाई गई है। असिफ अली और दिव्या प्रभा की इसमें दमदार भूमिका है। यह फिल्म वास्तविकता और संवेदनशीलता के साथ मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे को समझाती है।
Sarkeet Movie : एक संवेदनशील और दिल को छू लेने वाली पारिवारिक ड्रामा

मलयाली फिल्म “सर्कीट” 2025 की एक पारिवारिक ड्रामा है, जिसे थमार के. वी. ने लिखा और निर्देशित किया है। फिल्म में अभिनय के दमदार प्रदर्शन के साथ एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) से जूझ रहे बच्चे और उनके परिवार की कहानी को बारीकी से उकेरा गया है। मुख्य भूमिका में असिफ अली, दिव्या प्रभा, दीपक परम्बोल और ओरहान हैदर हैं।
कहानी का सार
फिल्म की कहानी दो parallel यानी दो समांतर कथाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। पहली कहानी अमीर (असिफ अली) की है, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में नौकरी की तलाश कर रहा है। उसकी जिंदगी कठिनाइयों और संघर्षों से भरी हुई है। दूसरी कहानी एक मध्यम वर्गीय परिवार की है, जहां माता-पिता अपने ADHD से पीड़ित बच्चे की देखभाल के बीच अपने रिश्ते और जीवन के तनाव से जूझ रहे होते हैं। बच्चे की ऊर्जा और उसकी मस्ती उन्हें भावनात्मक रूप से चुनौती देती है।
दोनों कहानियां एक अनोखे यात्रा (सर्कीट) के दौरान जुड़ती हैं, जो उनके जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। बच्चा अपनी उत्साह और असीम ऊर्जा के साथ परिवार के संघर्ष को सामने लाता है!
वहीं अमीर की कहानी जरूरतों और जद्दोजहद की व्यथा बयान करती है।
फिल्म में बच्चों की स्थिति को समझाने और उनके माता-पिता की
मुश्किलों को दिखाने का एकदम संवेदनशील प्रयास किया गया है।
अभिनय और निर्देशन
असिफ अली का अभिनय सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है, जिनकी प्रस्तुति में गहराई और सच्चाई झलकती है। ओरहान हाइडर ने ADHD से प्रभावित बच्चे की भूमिका में उत्कृष्ट काम किया है, जो फिल्म की संवेदनशीलता को बढ़ाता है। निर्देशक थमार केवी ने फिल्म को एक यथार्थवादी और ज़मीनी संवेदनशीलता के साथ पेश किया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी खास तौर पर यूएई के खूबसूरत दृश्यों के साथ एक सुखद माहौल बनाती है जबकि बैकग्राउंड म्यूजिक भावनाओं को सही तरीके से उभारता है।
विशेषताएँ और समीक्षा
फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक रिश्तों को बेहद संवेदनशीलता और समझदारी से दिखाया गया है।
यह फिल्म किसी बड़े ड्रामे या तड़क-भड़क की बजाए, रोजमर्रा की ज़िंदगी और रिश्तों की छोटी-छोटी जटिलताओं पर केंद्रित है।
कई समीक्षकों ने इसे एक कोमल, दिल को छू लेने वाली फिल्म बताया है, जो जीवन की सच्चाईयों को बखूबी पेश करती है।
फिल्म के कुछ हिस्से अपेक्षित से धीमे हो सकते हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक प्रभावशाली अनुभव है।
“सर्कीट” एक गहरे भावनात्मक सफर की तरह है,
जो पारिवारिक रिश्तों, मानसिक स्वास्थ्य से
जुड़े मुद्दों और जीवन के संघर्ष को बारीकी से पेश करती है।
यह फिल्म दर्शकों के दिल को छू जाती है और
यह सोचने पर मजबूर करती है कि साथ रहकर कैसे
मुश्किलों का सामना किया जा सकता है।
अगर कोई ऐसे विषयों पर संवेदनशील और सच्चे अंदाज में
फिल्म देखना चाहता है, तो “सर्कीट” देखना एक अच्छा विकल्प है।