Jahangir: जीवन परिचय, शासनकाल, न्यायप्रियता, नूरजहाँ से संबंध और ऐतिहासिक विरासत की पूरी कहानी
June 9, 2025 2025-06-09 13:46Jahangir: जीवन परिचय, शासनकाल, न्यायप्रियता, नूरजहाँ से संबंध और ऐतिहासिक विरासत की पूरी कहानी
Jahangir: जीवन परिचय, शासनकाल, न्यायप्रियता, नूरजहाँ से संबंध और ऐतिहासिक विरासत की पूरी कहानी
Jahangir: जानिए मुगल सम्राट जहाँगीर के जीवन, शासनकाल, न्यायप्रियता, नूरजहाँ से संबंध और उनकी ऐतिहासिक विरासत के बारे में विस्तार से। पढ़ें एक रोचक और तथ्यपूर्ण ब्लॉग हिंदी में।
मुगल सम्राट Jahangir: जीवन, शासन और विरासत

जहाँगीर, जिनका असली नाम सलीम था, मुगल साम्राज्य के चौथे शासक और अकबर के पुत्र थे। उनका जन्म 31 अगस्त 1569 को फतेहपुर सीकरी में हुआ था। जहाँगीर का नाम ‘दुनिया को जीतने वाला’ है, और वे अपने रंगीन मिजाज, न्यायप्रियता और कला प्रेम के लिए जाने जाते हैं।
शासन की शुरुआत और नीति
1605 में अकबर की मृत्यु के बाद सलीम ने ‘नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाह गाजी’ के नाम से गद्दी संभाली। उन्होंने अपने पिता की तरह उदार और सहिष्णु नीतियाँ अपनाईं। जहाँगीर ने हिंदू अधिकारियों को भी उच्च पदों पर नियुक्त किया और पुराने जागीरदारों के अधिकार बनाए रखे। शासन की शुरुआत में उन्होंने अपने खिलाफ षड्यंत्र करने वालों को भी क्षमा कर दिया, जिससे वे जनता और अमीरों का विश्वास जीत सके।
Jahangir और न्याय की जंजीर
जहाँगीर को ‘न्याय की जंजीर’ के लिए भी याद किया जाता है। उन्होंने आगरा किले के बाहर एक सोने की जंजीर लगवाई थी, जिसे कोई भी फरियादी खींच सकता था। इससे बादशाह तक सीधी शिकायत पहुँचती थी, जो उस समय के लिए एक अनूठी पहल थी।
युद्ध, विस्तार और उपलब्धियाँ
जहाँगीर ने अपने शासनकाल में मुगल साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने मेवाड़ के अमर सिंह को हराया और कांगड़ा, किश्वर और बंगाल तक मुगल साम्राज्य को फैलाया। हालांकि, उनके शासन में कोई बहुत बड़ी विजय नहीं हुई, लेकिन उन्होंने कई क्षेत्रों में शांति संधियाँ भी कीं।
व्यक्तित्व और विवाद
जहाँगीर का व्यक्तित्व जटिल था। वे एक ओर कला, चित्रकारी और प्रकृति के प्रेमी थे, वहीं दूसरी ओर कभी-कभी कठोर फैसले भी लेते थे। उनके शासन में सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव की हत्या हुई, क्योंकि उन्होंने उनके बेटे खुसरो की मदद की थी। एक अन्य प्रसंग में, अपने बेटे की बगावत पर उसकी आँखें फोड़ देने का भी उल्लेख मिलता है, जिससे उनकी क्रूरता की भी चर्चा होती है।
नूरजहाँ और निजी जीवन
जहाँगीर की सबसे प्रसिद्ध पत्नी नूरजहाँ थीं,
जो न केवल उनकी जीवनसंगिनी रहीं, बल्कि शासन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि का आविष्कार किया था,
जिसे जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ में लिखा है।
मृत्यु और विरासत
1627 में कश्मीर से लौटते समय जहाँगीर का निधन हो गया।
उनका मकबरा लाहौर के पास रावी नदी के किनारे स्थित है,
जो आज भी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रसिद्ध है।
जहाँगीर के बाद उनके बेटे खुर्रम (शाहजहाँ) ने मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली।
जहाँगीर का शासनकाल कला, न्यायप्रियता और प्रशासनिक सुधारों के लिए याद किया जाता है।
उनके जीवन में अच्छाई और सख्ती, दोनों का अनोखा मेल देखने को मिलता है।
उनकी विरासत आज भी भारतीय इतिहास में एक अलग पहचान रखती है।