Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है
जिसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
भगवान गणेश, जिन्हें गणपति, विघ्नहर्ता, और बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य के देवता के रूप में भी जाना जाता है!

तिथि और मुहूर्त
गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
2024 में, यह त्योहार 7 सितंबर को मनाया जाएगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 7 सितंबर 2024 को सुबह 2:14 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 8 सितंबर 2024 को दोपहर 3:33 बजे
पूजा की विधि
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियों को अपने घरों और पंडालों में स्थापित करते हैं।
स्थापना के समय निम्नलिखित पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है:
- गणेश जी की मूर्ति
- लाल कपड़ा
- अक्षत (चावल)
- पुष्प और मालाएं
- दूर्वा घास
- नारियल
- मोदक (गणेश जी का प्रिय भोग)
- धूप, दीप और अगरबत्ती
- पान के पत्ते और सुपारी
पूजा की प्रक्रिया
- प्रतिमा स्थापना: शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को एक साफ स्थान पर लाल कपड़े पर स्थापित करें।
- स्वस्तिवाचन: मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा का प्रारंभ करें।
- आवाहन और आसन: भगवान गणेश का आह्वान करें और उन्हें आसन प्रदान करें।
- पंचोपचार पूजा: भगवान गणेश को स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं, गंध, पुष्प, धूप और दीप से पूजन करें।
- नैवेद्य: भगवान गणेश को मोदक और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं।
- आरती: गणेश जी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
उत्सव का समापन
गणेश चतुर्थी का उत्सव दस दिनों तक चलता है,
जिसमें अंतिम दिन को “अनंत चतुर्दशी” के रूप में जाना जाता है।
इस दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन के समय भक्त गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारे लगाते हैं।
समाजिक और सांस्कृतिक महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व केवल धार्मिक नहीं है,
बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।
यह पर्व लोगों को एकजुट करता है, कला और संस्कृति का प्रसार करता है
और समाज में सामूहिकता की भावना को प्रबल करता है।
विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, और नाटकों का आयोजन किया जाता है, जो इस त्योहार को और भी जीवंत बनाते हैं।












