भारत में खड़ा हो सकता है ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा संकट रिपोर्ट ने दी बड़ी चेतावनी!
January 29, 2025 2025-01-29 9:10भारत में खड़ा हो सकता है ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा संकट रिपोर्ट ने दी बड़ी चेतावनी!
भारत में खड़ा हो सकता है ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा संकट रिपोर्ट ने दी बड़ी चेतावनी!
बड़ी चेतावनी रिपोर्ट 2025 : अगर मिडिल क्लास लोगों के लिए मिड साइज घरों की सप्लाई में तेजी नहीं लाई गई, तो आने वाले सालों में भारत में
ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा हाउसिंग संकट खड़ा हो सकता है. प्रॉपइक्विटी के फाउंडर और सीईओ समीर जसूजा ने
अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है. वास्तव में प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट सामने आई है!
अगर मिडिल क्लास लोगों के लिए मिड साइज घरों की सप्लाई में तेजी नहीं लाई गई, तो आने वाले सालों में
भारत में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा हाउसिंग संकट खड़ा हो सकता है. प्रॉपइक्विटी के फाउंडर
और सीईओ समीर जसूजा ने अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है
वास्तव में प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें जानकारी दी गई है कि देश के 9 प्रमुख
शहरों में मिड साइज के मकानों की सप्लाई में पिछले 30 फीसदी की कमी देखने को मिली है
जिसे एक बड़ी गिरावट के रूप में देखा जा रहा है. आइए आपको भी बताते हैं
कि आखिर किस तरह की रिपोर्ट सामने आई है!
30 फीसदी की गिरावट
पिछले साल देश के 9 प्रमुख शहरों में एक करोड़ रुपए तक की कीमत वाले किफायती और मध्यम इनकम
सेगमेंट के लिए घरों की नई सप्लाई 30 फीसदी घटकर लगभग 1.99 लाख इकाई रह गई. प्रॉपइक्विटी
ने मंगलवार को बताया कि भारत के प्रमुख 9 शहर आवास संकट का सामना कर रहे हैं
अधिकांश भारतीय नौकरी के लिए इन शहरों का रुख करते हैं. प्रॉपइक्विटी ने किफायती
और मध्यम आय वाले घरों की नई आपूर्ति में इस गिरावट का कारण यह है
कि आज बिल्डर लक्जरी घर बनाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं!
दो साल में 35 फीसदी की गिरावट
देश के प्रमुख नौ शहरों में किफायती और मध्यम आय वर्ग (एक करोड़ रुपए और उससे कम कीमत)
में घरों की सप्लाई 2024 में 1,98,926 यूनिट्स रह गई है, जो 2023 में 2,83,323 यूनिट्स थी
वहीं, साल 2022 में इस खंड में घरों की सप्लाई 3,10,216 यूनिट्स देखने को मिली थी
इसका मतलब है कि देश में इस सेगमेंट के तहत आने वाली यूनिट्स की सप्लाई बीते दो साल
में 35 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है!
बढ़ सकता है संकट
प्रॉपइक्विटी के फाउंडर और सीईओ समीर जसूजा ने कहा कि आज भारत की आठ फीसदी आबादी पहली
कैटेगिरी के शहरों में रहती है और अगले पांच वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है
क्योंकि अधिक लोग रोजगार के अवसरों के लिए इन शहरों में जा रहे हैं
उन्होंने कहा कि यदि सरकार द्वारा समय रहते इस श्रेणी में आपूर्ति की कमी पर ध्यान नहीं दिया
गया तो इससे आस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा आवास संकट पैदा हो जाएगा. जसूजा ने कहा कि
बढ़ते प्रवास और एकल परिवारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अनुमान है
कि अगले पांच साल में इन शहरों में 1.5 करोड़ घरों की आवश्यकता होगी!