पाकिस्तान उत्तर कोरिया दूतावास विवाद : पाकिस्तान उत्तर कोरिया में दूतावास खोलने जा रहा है। जानिए भारत की आपत्ति और इस कूटनीतिक कदम का पड़ोसी देशों पर असर।
उत्तर कोरिया, जिसका नेतृत्व किम जोंग उन के हाथ में है, विश्व की सबसे अलग-थलग और संवेदनशील राजनीतिक व्यवस्थाओं में से एक है। ऐसे माहौल में पाकिस्तान द्वारा वहां अपना दूतावास पुनः खोलने की खबर ने विश्व राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला भारत के लिए भी बेहद संवेदनशील है, जिसने पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संभावित परमाणु और मिसाइल तकनीक सहयोग को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है।
पाकिस्तान का दूतावास पुनः खोलने का विवाद

हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान को उत्तर कोरिया से अपना दूतावास पुनः खोलने का प्रस्ताव मिला है। यह दूतावास कोविड-19 महामारी से पहले कुछ समय के लिए बंद था और अब उसे फिर से खोलने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इस कदम को लेकर भारत की चिंता असामान्य नहीं है, क्योंकि इससे एक बार फिर पाकिस्तान-उत्तर कोरिया के गुप्त सैन्य और परमाणु गठजोड़ की अटकलें तेज हो सकती हैं।
- भारत ने लगातार वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच नाभिकीय हथियार और
- मिसाइल प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान की संभावना को उजागर किया है।
- भारत का मानना है कि इस तरह का सहयोग क्षेत्रीय एवं विश्व स्थिरता के लिए
- जोखिम भरा है और इसे पूरी दुनिया मिलकर रोकना चाहिए।
भारत की कड़ी आपत्ति के कारण
#भारत का विरोध सिर्फ राजनयिक स्तर का नहीं है, बल्कि इसमें गहराई से सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान-उत्तर कोरिया के बीच नाभिकीय और मिसाइल प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान की जांच और रोकथाम की मांग की है।
- भारत ने 2017 में भी उस समय पाकिस्तान-उत्तर कोरिया के संभावित सैन्य सहयोग की जांच का सुझाव दिया था
- जब इन दो देशों के बीच संदिग्ध परमाणु तकनीक के ट्रांसफर की खबरें आई थीं। 2022 में भारत
- ने स्पष्ट चेतावनी दी कि उत्तर कोरिया से जुड़े हथियार और मिसाइल प्रौद्योगिकी का फैलाव
- न केवल पूरी एशिया बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत खुद अपने हिंदी-चीन-उत्तर कोरिया के सीमावर्ती इलाके में इस तरह की गतिविधियों को लेकर अलर्ट रहता है। पाकिस्तान का उत्तर कोरिया में दूतावास खोलकर वहां सक्रिय रहना भारत को अपने क्षेत्रीय सुरक्षा हितों के विपरीत लग रहा है।
इतिहास में पाकिस्तान-उत्तर कोरिया संबंध
- पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच पुराने समय से राजनयिक और सैन्य संबंध रहे हैं।
- दोनों देशों ने एक-दूसरे के प्रति दोस्ताना रुख दिखाया है और विभिन्न मंचों पर सहयोग जाहिर किया है।
- ऐसे आकलन भी हैं कि पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को मिसाइल प्रौद्योगिकी मुहैया कराई थी,
- जबकि उत्तर कोरिया ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में सहायता दी थी।
- हालांकि, इस संबंध को लेकर दोनों तरफ से हमेशा आधिकारिक तौर पर नकारात्मक बयान दिए गए हैं।
हालांकि, इन संबंधों की छाया में भारत ने बार-बार चिंता जताई है और विश्व समुदाय से पाकिस्तान-उत्तर कोरिया की इस साझेदारी पर नज़र रखने और रोकथाम की अपील की है।
वैश्विक परिदृश्य और भारत की भूमिका
- पाकिस्तान का उत्तर कोरिया में दूतावास खोलना ऐसे वक्त में है जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों
- ने एशिया में परमाणु हथियार नियंत्रण और आतंकवाद रोकथाम को बढ़ावा देने के लिए कड़ी कोशिशें
- तेज कर रखी हैं। भारत भी इस दिशा में सक्रिय है और उसने खुद अपना दूतावास पुनः Pyongyang में खोला है।
- भारतीय विदेश मंत्रालय की रिपोर्टों के अनुसार, भारत लगातार यह संदेश देता रहा है
- कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए नाभिकीय प्रौद्योगिकी के फैलाव को रोका जाना चाहिए।
- पाकिस्तान द्वारा इस क्षेत्र में सक्रिय होकर दूतावास खुलवाना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा
- रणनीतिक और कूटनीतिक चिंताओं को और बढ़ाता है।
भारत के कूटनीतिक कदम
- भारत ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान को इस कदम पर आपत्ति जताई है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया है।
- भारत की मांग है कि ऐसे माहौल में जहां उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं
- पाकिस्तान का सक्रिय होना तनाव को और बढ़ावा देता है। भारत ने पाकिस्तान से आग्रह किया है
- कि वह ऐसे कदम उठाने से बचे जो क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकें।
साथ ही भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा फोरमों पर भी प्रमुखता से उठाया है, यह आग्रह करते हुए कि पाकिस्तान-उत्तर कोरिया की नाभिकीय और मिसाइल साझेदारी पर अंतरराष्ट्रीय नजर रखी जाए।
- पाकिस्तान द्वारा उत्तर कोरिया में अपना दूतावास पुनः खोलने का प्रयास न केवल एक कूटनीतिक मसला है
- बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक परमाणु नियंत्रण के लिहाज से भी बेहद चिंता का विषय है।
- भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है क्योंकि यह कदम पाकिस्तान-उत्तर कोरिया के घनिष्ठ और
- संदेहास्पद संबंधों को मजबूत कर सकता है, जिससे दक्षिण एशिया और पूरे विश्व के लिए नई चुनौतियां उत्पन्न होंगी।











