अल्फाजो में क्या बयां करे अपनी मोहब्बत के अफसाने, हम में तो तुम ही हो, तुम्हारे दिल की खुदा जाने

मैं फिर से निकलूंगा तेरी तलाश मैं ए-जिंदगी, दुआ करना इस बार किसी से इश्क न हो

भरोसा उन पर करो जो निभाने वाले हैं, वरना कुछ पल का साथ तो जनाजा उठाने वाले भी देते है

समझदार इतने हैं कि झूठ पकड़ लेते हैं, और पागल इतनी है कि फिर से यकीन कर लेते हैं

किसके लिए जन्नत बनाई है तूने -ए-खुदा, कौन है यहां जो गुनहागर नही है

ये उनकी मोहब्बत का नया दौर है, जहा मैं था वहां अब कोई और है

हमारी होती तो पलखो पर बिठाते तुम्हे, सुना है गैरो ने पैरो तले रक्खा है तुम्हे