कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारों लोग हैं मगर
कोई उस जैसा नहीं है।
बहुत सोचा बहुत समझा बहुत ही देर तक परखा
कि तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से तो बेहतर है
तुम्हारे लिये दुनिया तो जीत गई पर दिल हार गया
टूट कर चाहा था तुम्हे और तोड़ कर अकेला रख दिया तुमने मुझे
ये दुःख उदासी आँसुओं को मौत क्यों नहीं आती