वाणी से ही ख़ुशी, वाणी ही गम का कारण, वाणी ही पीड़ा, और वाणी ही मरहम

तू भी थोड़ी अपने हिस्से की सुबह से थोड़ी उमंग ले ऊर्जा की नई किरण ले

सुखी वो नही जिसके पास सब कुछ है, सुखी वो है जिसके पास संतुष्टि है

खुशी के फूल उन्हीं के झोली में गिरते हैं, जो अपनों से अपनों की तरह हर सुबह मिलते हैं

जीवन के सफर में जरुरत होती है थोड़े संघर्षों की, जिससे हम बड़े होते हैं और जिंदगी समझ पाते हैं