अब थोड़ा अजनबी ही रहने दो मुझे कई बार मैं ख़ास से आम हुई हूँ
बहुत मुश्किल होता है दर्द को हँसकर बर्दाश करना
अब डर घाव से नही लगाव से लगता है
जब जरुरत थी मैं सबका थी जब मुझे थी जरुरत तब मेरा कोई नही था
बस कोशिश इतनी है कि कोई मेरे वजह से परेशान न हो