हमारा शिकार करने वाले खुद शिकार हो गए
हम भी सबके बाप है जो उलझा हमसे वो शमशान में राख है
हम जख्म गहरे देंगे तुम थोडा सब्र तो करो
अभी तो सिर्फ हम बदले है 'बदले' तो अभी बाकी है
शरीफ अगर शराफत छोड़ दें तो अंजाम अच्छा नही होता