अकेले जीना सीख जाता है,
इंसान जब उसे पता लग जाता है
की अब साथ देने वाला कोई नहीं है
अजब पहेलियाँ हैं हाथों की लकीरों में,
सफ़र ही सफ़र लिखा हैं हमसफ़र कोई नहीं
अभी जरा वक़्त हैं उसको मुझे अजमाने दो,
वो रो-रोकर पुकारेगी मुझे बस मेरा वक़्त तो आने दो
इंसान सिर्फ एक कारण से अकेला पड़ जाता हैं,
जब उसके अपने ही उसे गलत समझने लगते हैं
चाहे जितना भी किसी को अपना बना लो,
वो एक दिन आपको गैर महसूस करा ही देते हैं
तन्हा रातें कुछ इस तरह से डराने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया
अपनो ने अकेला इतना कर दिया,
कि अब अकेलापन ही अपना लगता है