बहुत ख़ुश हूं मै अपने अकेलेपन से क्योंकि उन महफिलों से तो अच्छा है मेरा अकेलापन जहां सब अपने होकर भी अपने नहीं है
वो दिन नहीं वो रात नहीं वो पहले जैसे जज़्बात नहीं होने को तो हो जाती है बात अब भी मगर इन बातों में वो बात नही