जब तोड़ना ही था तो रिश्ता जोड़ा क्यों खुशी नहीं दे सकते थे तो हमारा गम से नाता जोड़ा क्यों

दुनिया की भीड़ में इतने तन्हा हो गए हैं हम अब तो कमबख्त परछाइयाँ भी साथ नहीं देती

शुक्रिया कि तुमने मुझे मेरी हदें बता दी, वरना हम तो गलती से तुम्हें बेहद प्यार कर बैठे थे

अजब पहेलियाँ है हाथों की लकीरों में, सफ़र ही सफ़र लिखा हैं हमसफ़र कोई नही

कितना भी दुनिया के लिए हँस के जी लें हम, रुला देती है फिर भी किसी की कमी कभी कभी