मैं गुनहेगर भी हु तो खुद का हु, मैने अपने सिवा किसी को बर्बाद नही किया

राह देखेंगे तेरी चाहे ज़माने लग जाए, या तू आ जाए या हम ही ठिकाने लग जाए

चार दिन आंखो में नमी होगी, मैं मर भी जाऊं तो क्या कमी होगी

खाकर ठोकर ज़माने की, फिर लौट आए मैखाने में, मुझे देख कर मेरे गम बोले बड़ी देर लगा दी आने में

तुमपर भी यकीन है, और मौत पर भी एतबार है, देखते है पहले कौन मिलता है, हमे दोनो का इंतजार है

एक अजीब सी जंग है मुझमें, कोई मुझसे ही तंग है मुझमें

तुम से अच्छे तो मेरे दुश्मन है, जो बात बात पर कहते है तुम्हे छोड़ेंगे नहीं