इश्क में मेरा इस कदर तो टूटना लाजमी था यारो, कांच का दिल था और मोहब्बत पत्थर से की थी

जब तुम कहोगे तब हम मिलेंगे बस एक शर्त है, मैं घड़ी तुम पहनोगे ना वक्त हम देखेंगे

खुद ही उठाना पड़ता है थका हुआ बदन अपना, जब तक ये सांसे चलती है कोई कंधा नहीं देता

अगर आप अच्छे हैं और आपके साथ अच्छा ही हो, तो दोस्त ये सिर्फ एक कहावत है

मसला यह नहीं कि तुम मिल नहीं पाओगे, दर्द ये है के हम भूल नहीं पाएंगे

काश कभी उन्हें फुर्सत में ख्याल आए, की कोई उन्हें याद करता है जिंदगी समझ कर

तेरी बातों में जिक्र उसका मेरी बातों में जिक्र तेरा, अजब इश्क है अपना ना तू मेरी ना वो तेरा