मकर संक्रांति परंपरा : के साथ जुड़ी परंपराएँ!
January 3, 2025 2025-01-03 7:17मकर संक्रांति परंपरा : के साथ जुड़ी परंपराएँ!
मकर संक्रांति परंपरा : के साथ जुड़ी परंपराएँ!
मकर संक्रांति परंपरा : भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है
जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप
से सूर्य के राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है
जिसे कृषि से जुड़े लोग विशेष रूप से खुशी के साथ मनाते हैं।
के दिन कई परंपराएँ और रीति-रिवाज होते हैं
जो इसे और भी खास बनाते हैं। आइए जानते हैं
के साथ जुड़ी कुछ प्रमुख परंपराएँ:
तिल गुड़ खाना

#मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन एक खास परंपरा है।
इसे खाकर लोग एक-दूसरे से कहते हैं, “तिल गुड़ खा और खुशी से रह।”
यह परंपरा मित्रता और समृद्धि की कामना करती है। तिल सेहत के
लिए फायदेमंद होते हैं और गुड़ शरीर को गर्मी प्रदान करता है।
पतंगबाजी
के दिन आकाश में रंग-बिरंगी पतंगों की उड़ान एक प्रसिद्ध परंपरा है,
खासकर गुजरात और राजस्थान में। बच्चे और बड़े, सभी मिलकर पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं।
यह परंपरा खासतौर से सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश के स्वागत के रूप में देखी जाती है।
दान पुण्य
के दिन विशेष रूप से दान का महत्व है। इस दिन को पुण्य कमाने
के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग गरीबों को तिल, गुड़, कपड़े और
अन्य वस्तुएं दान करते हैं, जिससे उनका मन शांति और संतुष्टि से भर जाता है।
स्नान करना
पर गंगा, यमुना, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
इसे पुण्य लाभ के रूप में देखा जाता है और यह व्यक्ति के पापों
को धोने और आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम माना जाता है।
खिचड़ी बनाना
उत्तर भारत में के दिन खिचड़ी पकाने और खाने की परंपरा है।
यह एक खास भोजन है जो चावल, दाल, तिल और गुड़ से तैयार किया जाता है।
इसे खासतौर से इस दिन के लिए पकाया जाता है
और परिजनों के साथ मिलकर खाया जाता है।
नई फसल की प्राप्ति का उत्सव
एक कृषि आधारित त्योहार है, जो नए फसल के आने का प्रतीक है।
इस दिन किसान अपने खेतों की पूजा करते हैं और उनके कामों की
सफलता के लिए आभार व्यक्त करते हैं। यह समय उन
किसानों के लिए खुशी का होता है, जिनकी मेहनत से उन्हें नई फसल मिलती है।
उज्जवल भविष्य की कामना
का पर्व एक नए आरंभ का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने
भविष्य के लिए अच्छे विचारों, कार्यों और सकारात्मक दृष्टिकोण की कामना करते हैं।
यह अवसर नए संकल्प लेने और पुरानी कड़वाहटों को छोड़ने का भी होता है।