जेब वाली साड़ी का Startup बस 15 सेकेंड में पहन लो अनुपम ने भी पहनी काटा ₹50 लाख का चेक!
January 28, 2025 2025-01-28 14:23जेब वाली साड़ी का Startup बस 15 सेकेंड में पहन लो अनुपम ने भी पहनी काटा ₹50 लाख का चेक!
जेब वाली साड़ी का Startup बस 15 सेकेंड में पहन लो अनुपम ने भी पहनी काटा ₹50 लाख का चेक!
Shark Tank India-4 : साड़ी पहनना कितना मुश्किल काम ये हर लड़की जानती है. किसी को मम्मी या बहन की मदद लेनी पड़ती है
तो किसी को पति की. वहीं साड़ी पहनने के बाद भी ये टेंशन रहती है कि कहीं खुल ना जाए, कहीं फंसकर गिर ना जाऊं,
Shark Tank India-4 :

जेब वाली साड़ी का Startup बस 15 सेकेंड में पहन लो अनुपम ने भी पहनी काटा ₹50 लाख का चेक!
साड़ी पहनना कितना मुश्किल काम ये हर लड़की जानती है. किसी को मम्मी या बहन की मदद लेनी पड़ती है
तो किसी को पति की. वहीं साड़ी पहनने के बाद भी ये टेंशन रहती है कि कहीं खुल ना जाए, कहीं फंसकर गिर
ना जाऊं, लेकिन अब इस टेंशन की छुट्टी समझिए. शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन (Shark Tank India Season 4)
में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) पहुंचा, जिसने 15 सेकेंड में
पहनने वाली साड़ी बनाई है. इतना ही नहीं, इस साड़ी में तो जेब भी है
इस स्टार्टअप की शुरुआत हुई 2018 में और तब से लेकर अब
तक ये कंपनी करीब 10 हजार साड़ियां बेच चुकी है
इस स्टार्टअप का नाम है असीम शक्ति (Aseem Shakti), जिसने अपने ब्रांड असीम के तहत ये 15 सेकेंड
में पहनी जाने वाली साड़ी लॉन्च की है. इसकी शुरुआत की है मुंबई की रहने वाली स्वाति ने, जिन्होंने सेट पर आते ही
पहले तो 15 सेकेंड में साड़ी पहनी और फिर उसकी जेब से फोन, वॉलेट, पेपर स्प्रे, लिपस्टिक, नोटपैड, पेन, कंघी और
काजल निकाला. ये सब देखकर सारे शार्क हैरान रह गए कि एक साड़ी में जेब बनाकर इतना कुछ रख कैसे दिया
अब 24-44 हजार तक कमाती हैं महिलाएं !
स्वाति ने अपने इस स्टार्टअप के तहत बहुत सारी महिलाओं को नौकरी दी है. इसकी वजह से वह महिलाएं
अपने घर की जरूरतें पूरी कर पा रही हैं और बेहतर जिंदगी जी रही हैं. इतना ही नहीं, कोई अपने बच्चे को
अच्छी पढ़ाई दे पा रही है तो किसी का बच्चा विदेश तक जा पहुंचा है. वहीं ये महिलाओं अब खुद हर
महीने 24 हजार से लेकर 44 हजार रुपये तक कमाती हैं,
जो इन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है. स्वाति ने अपनी टीम की 8 महिलाओं को
सेट पर भी बुलाया, जिन्होंने पहले कैटवॉक की और फिर अपनी साड़ी
की जेब से एक गुलाब का फूल निकालकर वहां बैठे जजों को दिया
टीचर की तरह की करियर की शुरुआत
स्वाति ने अपने करियर की शुरुआत एक टीचर की तरह की थी. उन्होंने अंडरप्रिविलेज्ड यूथ को स्पोकन इंगलिश
पढ़ाने का मौका मिला. अलग-अलग स्कूलों और एनजीओ में उन्होंने 2-3 साल तक इंगलिश पढ़ाई. वहीं वह खुद
यूपीएससी की पढ़ाई करना चाहती थीं, तो उन्होंने वह शुरू कर दी
और इस दौरान वह कुछ वक्त के लिए दिल्ली रहीं
यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के बारे में पता चला
और उन्होंने समझा कि कैसे सरकार इनकी मदद करती है.
ह्यूमन ट्रायल के लिए जाती थीं कुछ महिलाएं
स्वाति बताती हैं कि वह अपने आस-पड़ोस में रहने वाली बहुत सारी गरीब महिलाओं को देखती थीं
और सोचती थीं कि उनकी जिंदगी बेहतर कैसे बनाई जाए. एक दिन उन्होंने देखा कि वह महिलाएं एक जगह खड़ी थीं
और हंस-हंस के बातें कर रही थीं. स्वाति ने नोटिस किया कि उनकी पीठ पर कुच पैच लगे हुए थे
दरअसल वह कॉस्मेटिक्स पैच टेस्ट के लिए जाया करती थीं. जितना रिस्की पैचटेस्ट, उतने ही अधिक पैसे मिलते थे
यानी वह एक तरह से ह्यूमन ट्रायल का हिस्सा बन गई थीं, क्योंकि इससे उन्हें पैसे मिलते थे