SEBI नए नियम : 18 दिसंबर 2025 सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड रेगुलेशंस में बड़ा बदलाव किया है। टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) को अब बेस एक्सपेंस रेशियो (BER) में बदल दिया गया है, जिसमें स्टैट्यूटरी लेवीज (जैसे GST, STT, स्टैंप ड्यूटी) को अलग दिखाया जाएगा। ब्रोकरेज कैप टाइट की गई है और एग्जिट लोड पर अतिरिक्त 5 bps चार्ज हटा दिया गया। यह बदलाव SEBI (Mutual Funds) Regulations, 2026 के तहत आएगा। कई लोग इसे TER कट बता रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि यह ट्रांसपेरेंसी रीसेट ज्यादा है। आइए जानते हैं SEBI नए TER नियम 2025 के मुख्य बदलाव, निवेशकों पर असर और सावधानियां।
SEBI के नए TER नियमों के मुख्य बदलाव
सेबी ने म्यूचुअल फंड की फीस स्ट्रक्चर को पारदर्शी बनाया है:

- TER का अनबंडलिंग: अब TER = BER + ब्रोकरेज/कमीशन + स्टैट्यूटरी लेवीज (अलग से दिखाए जाएंगे)। पहले सब एक में मिला होता था।
- ब्रोकरेज कैप टाइट: कैश मार्केट में 6 bps (पहले 12 bps तक), डेरिवेटिव्स में 2 bps। इससे “साइलेंट लीक्स” कम होंगे।
- एग्जिट लोड पर अतिरिक्त 5 bps हटाया: पहले कुछ स्कीम्स में एग्जिट लोड पर यह चार्ज लगता था, अब नहीं।
- कुछ कैटेगरी में BER कट:
- इंडेक्स फंड्स/ETF: 0.9% (पहले 1% शामिल लेवीज के साथ)।
- इक्विटी FoF: 2.10% (पहले 2.25%)।
- डेट FoF: 1.85% (पहले 2%)।
- छोटे फंड्स (AUM < Rs 500 करोड़): इक्विटी 2.10%, डेट 1.85%।
- बड़े फंड्स (> Rs 50,000 करोड़): इक्विटी 0.95%, डेट 0.7%।
कुल मिलाकर 10-15 bps की कटौती, लेकिन लेवीज अलग होने से हेडलाइन TER कम दिखेगा।
निवेशकों के लिए क्या फायदा?
- पारदर्शिता बढ़ी: अब फंड हाउस कितना चार्ज कर रहा है, साफ दिखेगा। तुलना आसान।
- संभावित बचत: ब्रोकरेज कंट्रोल और एग्जिट चार्ज हटने से रियल सेविंग्स, जो कंपाउंडिंग से लॉन्ग टर्म में बढ़ेंगी।
- कॉस्ट कम: छोटी कट भी लंबे समय में अच्छा रिटर्न देगी। उदाहरण: Rs 10 लाख निवेश पर 10 bps बचत सालाना Rs 1,000 extra कंपाउंड करेगी।
- डिजिटल डिस्क्लोजर: रिपोर्ट्स डिजिटल, आसान पहुंच।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह निवेशकों के हित में है, खासकर रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए जो SIP से निवेश करते हैं।
फाइन प्रिंट क्यों पढ़ें? छिपे रिस्क
धीरेंद्र कुमार (Value Research) की चेतावनी:
- हेडलाइन TER कट भ्रामक: असल कुल कॉस्ट लेवीज पर निर्भर। सेविंग्स फंड हाउस के इंप्लीमेंटेशन पर।
- चर्न का खतरा: डिस्ट्रीब्यूटर्स (बैंक RM) नई NFO या छोटी स्कीम्स में स्विच कराने की कोशिश करेंगे, कहकर “कम TER”। चर्न से रिटर्न ज्यादा घटता है।
- ज्यादा NFO: AUM स्लैब स्ट्रक्चर से फंड हाउस छोटी स्कीम्स लॉन्च करेंगे, ऑप्शंस बढ़ेंगे लेकिन कन्फ्यूजन भी।
- AMC पर प्रेशर: प्रॉफिट कम हो सकता है, लेकिन वे डिस्ट्रीब्यूटर्स से एडजस्ट कर लेंगे।
निवेशक सतर्क रहें – नई स्कीम्स में बिना वजह स्विच न करें। पुरानी अच्छी स्कीम्स होल्ड करें।
निवेशकों के लिए पॉजिटिव स्टेप
SEBI TER बदलाव 2025 म्यूचुअल फंड को सस्ता और पारदर्शी बनाएगा। छोटी बचत लॉन्ग टर्म में बड़ा फर्क डालेगी। लेकिन फाइन प्रिंट पढ़ें, हाइप में न आएं। अगर आप म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, तो अपनी स्कीम्स के नए डिस्क्लोजर चेक करें। स्मार्ट निवेश से रिटर्न मैक्सिमाइज करें!











