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Sad Shayari

पिछले साल खौफ था तुझे खो न दूँ इस साल दुआ है तेरा सामना न हो जवाब लेने चले थे सवाल ही भूल गए अजीब है इश्क ए भी हम अपना हाल ही भूल गए गुस्सा उस पर नहीं खुद पर आता है, की मैंने उसे इतना क्यों चाहा शहर ज़ालिमों का है साहब जरा संभल कर चलना यहां सीने से लगाकर लोग दिल निकाल लेते है हमने भी एक ऐसे इंसान को चाहा जिसे भूलना हमारे बस में नही और पाना किस्मत ने नही बिखरी हुई यादों के सहारे, आँसू की बूँदें चुपके से बहारे। दिल के कोने में छुपी है गहरी तन्हाई, बिना किसी के साथ, फिर भी है बेखुदी की राहाई। जुदा हो के भी तू मुझमे कहीं बाकी है पलको पे बन के आंसू तू चली आती है जिनकी की मोहब्बत सच्ची होती है, उनके नसीब में दर्द ही लिखा होता है मर जाता हु जब ये सोचता हु मैं तेरे बगैर ही जी लिया