रतन टाटा पुण्यतिथि : आज, 9 अक्टूबर 2025, टाटा समूह के लिए एक भावनात्मक और चुनौतीपूर्ण दिन है। रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश में उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी जा रही है। प्रमुख अखबारों में पूरे पृष्ठ के विज्ञापन उनके नेतृत्व, विनम्रता और देश के विकास में उनकी भूमिका को समर्पित हैं। टाटा ट्रस्ट्स ने एक विज्ञापन में लिखा, “एक उद्देश्यपूर्ण जीवन। प्रभाव की विरासत। राष्ट्रीय प्रगति के लिए धर्मार्थ को बल बनाने की उनकी विरासत हमारे लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेगी।” टाटा संस ने भी श्रद्धा स्वीकार करते हुए कहा कि उनके द्वारा सिखाए गए विनम्रता, उद्देश्य और उदारता के पाठ हमेशा हमारे साथ रहेंगे.
विरोधाभास: बाहर श्रद्धांजलि, अंदर संघर्ष

इस भव्य श्रद्धांजलि के बीच एक गहरा विरोधाभास देखने को मिल रहा है। जहां बाहर रतन टाटा के विनम्र और एकीकृत नेतृत्व की प्रशंसा की जा रही है, वहीं टाटा ट्रस्ट्स के भीतर बोर्ड नियुक्तियों और शासन मामलों को लेकर ट्रस्टीज के बीच आंतरिक संघर्ष तेज हो गया है । यह संघर्ष उन्हीं मूल्यों के विपरीत है जिनके लिए रतन टाटा जीवन भर जाने जाते थे। टाटा ट्रस्ट्स, जो टाटा संस में बहुमत हिस्सेदारी रखता है, इस संकट के केंद्र में है ।
संघर्ष का केंद्र: नोएल टाटा बनाम चार ट्रस्टीज
- इस विवाद का मुख्य कारण ट्रस्टी नोएल टाटा के समूह और मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाले चार ट्रस्टीज के बीच शक्ति संघर्ष है।
- मेहली मिस्त्री शापूरजी पल्लोंजी परिवार से जुड़े हैं, जो टाटा संस में 18% से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
- इन चार ट्रस्टीज — दारियस खंबाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, प्रमित झावेरी और मेहली मिस्त्री
- को टाटा संस के महत्वपूर्ण नियुक्तियों और बोर्ड पर निगरानी में
- अधिक नियंत्रण चाहिए, जो नोएल टाटा को रास नहीं आ रहा है ।
सरकार का हस्तक्षेप और भविष्य की चिंता
- स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टाटा ट्रस्ट्स के प्रमुख नोएल
- टाटा और टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरण के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य समूह की
- स्थिरता बहाल करना था, क्योंकि 180 बिलियन डॉलर के इस विशाल समूह के कामकाज पर संकट का खतरा मंडरा रहा था ।
156 साल के इतिहास पर खतरा?
- 156 साल पुराने इस उद्योग साम्राज्य और उसकी 400 से अधिक कंपनियों
- पर नियंत्रण की लड़ाई अब एक बड़ी चुनौती बन गई है।
- रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने एक अटूट छवि बनाई थी
- लेकिन उनके निधन के बाद यह आंतरिक विवाद
- उस विरासत के लिए एक परीक्षा बन गया है। टाटा समूह की
- ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है
- लेकिन अगले कुछ दिनों में इस संकट का समाधान कैसे होता है, यह पूरे देश की नजर में होगा।






