राम नवमी 2025: जानिए इस पावन दिन का महत्व और पूजा विधि जो हर भक्त को जाननी चाहिए!
April 1, 2025 2025-04-01 4:03राम नवमी 2025: जानिए इस पावन दिन का महत्व और पूजा विधि जो हर भक्त को जाननी चाहिए!
राम नवमी 2025: जानिए इस पावन दिन का महत्व और पूजा विधि जो हर भक्त को जाननी चाहिए!
राम नवमी 2025 : राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है, जो वसंत नवरात्रि के अंतिम दिन होता है।
वर्ष 2025 में राम नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है
बल्कि यह सत्य, धर्म और मर्यादा की स्थापना का प्रतीक भी है।

🌼 राम नवमी का धार्मिक महत्व
भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनका जीवन आदर्श, त्याग
प्रेम, और कर्तव्यपालन की मिसाल है। वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की
रामचरितमानस में उनके जीवन का संपूर्ण वर्णन मिलता है।
अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर जब श्रीराम का जन्म हुआ
तब अयोध्या नगरी में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।
राम नवमी पर राम के चरित्र और आदर्शों को याद कर समाज में सत्य
और न्याय की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। इस दिन देशभर के राम
मंदिरों में भव्य झांकियां, भजन कीर्तन और शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं।
🪔# राम नवमी 2025 की पूजा विधि
#राम नवमी पर व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान
राम की कृपा पाने और पापों से मुक्ति के लिए उत्तम माना जाता है।
प्रातः स्नान करके घर या मंदिर को साफ़-सुथरा करें।
पूजा स्थान पर भगवान श्रीराम, माता सीता
लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र रखें।
पीले या केसरिया वस्त्र पहनकर पूजा करें।
गंगाजल से कलश स्थापना करें और कलश में सुपारी
सिक्का और आम के पत्ते डालें।
भगवान राम को तिलक, फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें।
रामचरितमानस, सुंदरकांड या राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
दोपहर 12 बजे के आसपास भगवान राम का ‘जन्मोत्सव’ मनाएं
क्योंकि यही उनका जन्म समय माना जाता है।
अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
🙏 राम नवमी का व्रत
व्रती इस दिन निराहार या फलाहार व्रत रखते हैं और भगवान राम के नाम का जप करते हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं
घर में सुख-शांति आती है और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
राम नवमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धर्म, सदाचार और कर्तव्य की भावना को पुनः
जाग्रत करने का अवसर है। यह दिन हमें सिखाता है
कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।