मोकामा मर्डर केस : प्रशांत किशोर मोकामा मर्डर केस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि दुलारचंद यादव जन सुराज पार्टी के सदस्य नहीं थे, वे केवल प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे। इस हत्या ने बिहार में चुनावी हिंसा और कानून-व्यवस्था की समस्याओं को उजागर किया है।
मोकामा मर्डर केस पर प्रशांत किशोर का महत्वपूर्ण बयान: ‘दुलारचंद यादव जन सुराज के सदस्य नहीं थे’
बिहार के मोकामा नगरपालिका के चुनाव प्रचार के दौरान हुई दुलारचंद यादव की हत्या ने जन सुराज पार्टी और पूरे राज्य की राजनीति में तहलका मचा दिया है। इस घटना पर पार्टी के संस्थापक और नेता प्रशांत किशोर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि दुलारचंद यादव जन सुराज पार्टी के आधिकारिक सदस्य नहीं थे। वे पीयूष प्रियदर्शी नामक जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन कर रहे थे, लेकिन पार्टी के सदस्य नहीं थे।

घटना की पृष्ठभूमि
गुरुवार को मोकामा में जन सुराज के समर्थक दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि वे अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे। इस घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया और इस मामले ने राजनीतिक रूप से बड़ा विवाद पैदा कर दिया। हत्या के आरोप में जदयू के बाहुबली अनंत सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
दुलारचंद यादव के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि गोली अनंत सिंह की ओर से चली। वहीं, इस घटना से संबंधित आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और यह मामला बिहार के चुनावी माहौल को बदलने वाला सिद्ध हो रहा है।
प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया!
- प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “जो लोग मारे गए वे हमारे जन सुराज पार्टी के
- आधिकारिक सदस्य नहीं थे। वे केवल मोकामा के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार कर रहे थे।
- ” उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन इससे हिंसा और हत्या की कोई जगह नहीं है।
- उन्होंने मोकामा हत्या को पुलिस और प्रशासन की विफलता बताया और कहा कि बिहार में जिस जंगलराज
- की चर्चा होती रही है, यह घटना उसी का नजारा है। किशोर ने जोर देकर कहा कि बाहुबली किसी भी
- जाति या समुदाय से हो सकते हैं, लेकिन जो गलत है वह गलत है। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी ने
- बिहार की जनता को एक साफ-सुथरे और भ्रष्टाचार-मुक्त विकल्प दिया है।
बिहार में कानून-व्यवस्था की चुनौती
- प्रशांत किशोर ने बिहार के कानून-व्यवस्था के हालात पर चिंता जताई और कहा कि चुनाव के दौरान
- बड़ी संख्या में हिंसा की घटनाएं होती हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि मोकामा में हुई
- यह हत्या एक गम्भीर संदेश है कि बिहार को अब अपनी कानून-व्यवस्था सुधारने की जरूरत है।
राजनीतिक सियासत में मोकामा मर्डर केस का प्रभाव
- मोकामा मर्डर केस ने बिहार के चुनावी माहौल को भयंकर रूप से प्रभावित किया है।
- इस घटना ने न केवल जन सुराज पार्टी और जदयू के बीच तनाव बढ़ाया है
- बल्कि आरजेडी समेत अन्य राजनीतिक दलों को भी राजनीतिक आर-पार की लड़ाई में झोंक दिया है।
- इस हत्याकांड के बाद मोकामा सहित आसपास के इलाकों में तनाव बढ़ गया है
- साथ ही जन सुराज समर्थकों और विरोधी गुटों के बीच टकराव की खबरें भी सामने आ रही हैं।
- यह घटना बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की वेदना और चुनावी हिंसा की पड़ताल की एक बड़ी मिसाल बन चुकी है।
- प्रशांत किशोर ने मोकामा मर्डर केस पर अपनी बात रखते हुए स्पष्ट किया है
- कि दुलारचंद यादव उनकी पार्टी के सदस्य नहीं थे, बल्कि वे एक प्रत्याशी का समर्थन कर रहे थे।
- उन्होंने कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति और चुनावी हिंसा को गंभीर चुनौती बताया है।
- बिहार में चुनावी हिंसा और बाहुबलियों का प्रभाव लोकतंत्र के लिए खतरनाक है
- और ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
- जन सुराज पार्टी जनता को भ्रष्टाचार और बाहुबलियों से मुक्ति के लिए एक नया विकल्प देने की कोशिश कर रही है।
- इस मामले में न केवल प्रशासन बल्कि समाज के सभी वर्गों को मिलकर सुधार की दिशा में काम करना होगा।
- मोकामा की हत्या ने बिहार की राजनीति में हिंसा के प्रति सख्त संदेश भी दिया है
- कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।







