मोक्षदा एकादशी 2025 : मोक्षदा एकादशी एक विशेष धार्मिक पर्व है जो भगवान विष्णु को समर्पित होता है और गीता जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। मार्गशीष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्ष देने वाली तिथि माना गया है, जिसमें व्रत और पूजा का अत्यंत धार्मिक महत्व है। इस पोस्ट में आप जानेंगे मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का शुभ मुहूर्त, संपूर्ण पूजा विधि, जरूरी पूजा सामग्री, विशेष मंत्र, और फलदायी उपाय, जिससे आपके व्रत और भक्ति को पूर्णता मिलेगी।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 30 नवंबर 2025 रात 9:29 बजे शुरू होकर 1 दिसंबर 2025 शाम 7:01 बजे तक रहेगी। व्रत पारण का समय 2 दिसंबर 2025 सुबह 6:57 बजे से 9:03 बजे तक मान्य रहेगा। शुभ मुहूर्त में व्रत और पूजा का विशेष फल मिलता है।

मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी परम पावन पर्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर किए गए व्रत और भगवान विष्णु की पूजा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है, जब श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर हल्के, स्वच्छ, पीले रंग के कपड़े पहनें।
- व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें, दीपक जलाएं।
- पीले फूल, तुलसी दल, पंचामृत, केला एवं पीली मिठाई का भोग लगाएं।
- दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत रखें। सात्त्विकता बनाए रखें।
- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ जरूर करें, कम से कम एक अध्याय पढ़ें या सुनें।
- शाम को पुनः दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और तुलसी पर जल चढ़ाएं।
- रात्रि में भजन-कीर्तन और जागरण करें।
- द्वादशी के पारण मुहूर्त में तुलसी जल से व्रत पूरी विधि से समाप्त करें।
पूजा सामग्री सूची
- भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो
- गंगाजल, दीपक (घी/तेल), रूई, धूप-अगरबत्ती
- चंदन या हल्दी, पीले फूल, तुलसी दल, पंचामृत
- फल (विशेष रूप से केला), पीली मिठाई
- कलश, अक्षत चावल, कुमकुम-रोली, पूजा की थाली, मेवा
- तुलसी का पौधा (यदि उपलब्ध हो)
वरदान देने वाले उपाय
- भगवान विष्णु व तुलसी माता को जल अर्पित करें
- शांत मन से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपें
- हल्दी, पीला कपड़ा, केला या पीली मिठाई का दान करें
- तुलसी के पास दीपक जलाएं, उत्तर दिशा में कपूर या घी का दीपक रखें
- पितरों की शांति के लिए आकाशदीप जलाएं
- विष्णु सहस्रनाम या गीता श्लोकों का पाठ करें
- गरीबों व ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, अन्न दान करें
- पूरे दिन संयम, सात्त्विकता और जप का पालन करें
शक्तिशाली मंत्र
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (108 बार जपें)
- “ॐ नारायणाय नमः”
- “ॐ विष्णवे नमः”
गीता जयंती का महत्त्व
गीता जयंती श्रीमद्भगवद्गीता के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और जीवन का गूढ़ उपदेश दिया था। गीता का पाठ करने वाले व्यक्ति को शुभ फल मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।












