महापरिनिर्वाण दिवस 2025 : पर पीएम नरेंद्र मोदी ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। आंबेडकर के न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों पर विशेष कवरेज। विकसित भारत के लिए उनके आदर्शों की प्रासंगिकता, इतिहास और संदेश हिंदी में।
6 दिसंबर 2025 को पूरे देश में महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जा रहा है, जो डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की महापरिनिर्वाण तिथि को समर्पित है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंबेडकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की, उनके न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों को याद करते हुए कहा कि ये आदर्श भारत के राष्ट्रीय सफर को मार्गदर्शन देते रहेंगे। पीएम मोदी के इस संदेश ने देशवासियों को प्रेरित किया है, खासकर विकसित भारत के निर्माण के संदर्भ में। आइए, इस ब्लॉग में महापरिनिर्वाण दिवस के महत्व, आंबेडकर के योगदान और पीएम के संदेश का गहन विश्लेषण करें – ताकि हम उनके आदर्शों से जुड़ सकें।
महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व: आंबेडकर की विरासत को सलाम

#महापरिनिर्वाण दिवस हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाता है, जो 1956 में आंबेडकर के निधन की तारीख है। बौद्ध धर्म के अनुसार, ‘महापरिनिर्वाण’ निर्वाण की अंतिम अवस्था है, जहां आत्मा शांति प्राप्त करती है। आंबेडकर, जो 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के मध्य प्रदेश के एक दलित परिवार में पैदा हुए, ने अपना जीवन सामाजिक न्याय और समानता के लिए समर्पित कर दिया। 1956 में नागपुर के दीक्षाभूमि में उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया, जो जातिवाद के खिलाफ ऐतिहासिक कदम था। उनका निधन दिल्ली में 6 दिसंबर को हुआ, और तब से यह दिन उनकी स्मृति में मनाया जाता है।
इस दिवस पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित होते हैं – दिल्ली के संसद भवन, मुंबई के देओलाली और नागपुर के दीक्षाभूमि में श्रद्धांजलि सभाएं। 2025 में, यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है। आंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं – वे कहते थे, “राजनीतिक स्वतंत्रता बिना आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता के व्यर्थ है।” महापरिनिर्वाण दिवस हमें याद दिलाता है कि उनकी लड़ाई जारी है, खासकर वंचित वर्गों के उत्थान के लिए।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर: संविधान के शिल्पकार और सामाजिक क्रांतिकारी
डॉ. आंबेडकर का जीवन संघर्षों की मिसाल है। कोलंबिया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डिग्री लेने वाले वे पहले भारतीय थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की। स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया, जो 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया। संविधान के अनुच्छेद 14-18 ने समानता का अधिकार सुनिश्चित किया, जबकि आरक्षण प्रावधानों ने दलितों और पिछड़ों को मुख्यधारा में लाया।
- आंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ ‘महाड़ सत्याग्रह’ (1927) और पूना पैक्ट (1932) जैसे आंदोलन चलाए।
- उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ और ‘शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन’ की स्थापना की। उनकी प्रमुख रचनाएं
- ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’, ‘बुद्धा एंड हिज धम्म’ – आज भी पढ़ी जाती हैं। आर्थिक मोर्चे पर, वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
- के संस्थापक थे। 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित, आंबेडकर की विरासत लाखों लोगों को प्रेरित करती है।
- 2025 में, उनके 134वें जन्मदिन पर भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रद्धांजलि दी थी, जो उनकी प्रासंगिकता दर्शाती है।
पीएम मोदी की श्रद्धांजलि: न्याय और समानता के आदर्शों पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 दिसंबर 2025 को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर आंबेडकर को याद किया। उनके शब्दों में: “महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को याद करते हुए। उनका दूरदर्शी नेतृत्व और न्याय, समानता तथा संवैधानिकता के प्रति अटूट समर्पण हमारे राष्ट्रीय सफर को मार्गदर्शन देता रहता है। उन्होंने पीढ़ियों को मानवीय गरिमा बनाए रखने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। उनके आदर्श विकसित भारत के निर्माण में हमारा मार्ग प्रकाशित करते रहें।”
- पीएम ने कहा कि आंबेडकर का समर्पण भारत के लोकतंत्र को मजबूत करता है। यह संदेश ‘विकसित भारत’ अभियान से जुड़ता है
- जहां सरकार आंबेडकर के विचारों पर आधारित योजनाएं चला रही है – जैसे ‘पीएम जनमन’ योजना अनुसूचित जातियों के लिए।
- मोदी सरकार ने आंबेडकर सर्किट हाउस का विकास और संविधान दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने जैसे
- कदम उठाए। यह श्रद्धांजलि न सिर्फ स्मृति है, बल्कि भविष्य की दिशा भी निर्धारित करती है।
आंबेडकर के आदर्श आज: विकसित भारत की कुंजी
- आंबेडकर के विचार आज के भारत के लिए प्रासंगिक हैं। समानता के बिना विकास अधूरा है
- आज डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसी योजनाएं उनके आरक्षण और शिक्षा के सपने को साकार कर रही हैं।
- लेकिन चुनौतियां बाकी हैं: जातिगत भेदभाव, आर्थिक असमानता। महापरिनिर्वाण दिवस हमें प्रतिबद्धता लेने का अवसर देता है।
- युवाओं को आंबेडकर पढ़ना चाहिए, क्योंकि वे कहते थे, “शिक्षा ही वह शेरनी है जो हमें दूध पिलाती है।”
2025 में, जब भारत G20 की मेजबानी कर चुका है, आंबेडकर के वैश्विक न्याय के विचार और मजबूत हो जाते हैं। सरकार ने आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का विस्तार किया, जो उनके दर्शन को फैला रहा है। पीएम मोदी की श्रद्धांजलि इस दिशा में एक मील का पत्थर है।
आंबेडकर अमर रहें!
- महापरिनिर्वाण दिवस हमें आंबेडकर की अमर विरासत की याद दिलाता है। पीएम मोदी के शब्दों में
- उनके आदर्श हमें विकसित भारत की ओर ले जाएंगे। आइए, हम सब प्रतिज्ञा लें
- समानता और न्याय के लिए संघर्ष जारी रखें। क्या आप आंबेडकर के किसी विचार से प्रेरित हैं?











