Love Sad Shayari: दुख और दर्द की गहराइयों से लिखी शायरी, जो दिल के कोनों में छू जाए। यह शायरी उस अहसास को व्यक्त करती है जो हमारे रूह के कोनों में छुपा है। यह व्यक्तिगत अनुभवों, प्यार और जीवन के उदास पलों की कहानी को सुनाती है। इसमें एक अलग ही रोमांच है, जो दिल को छू जाता है और आंसू निकाल लेता है।

सुनो ना हम पर मोहब्बत नही आती तुम्हें
रहम तो आता होगा

काश वो भी आकर हम से कह दे मैं भी तन्हाँ हूँ,
तेरे बिन तेरी तरह तेरी कसम तेरे लिए

बहुत देर करदी तुमने मेरी धडकनें महसूस करने में,
वो दिल नीलाम हो गया, जिस पर कभी हकुमत तुम्हारी थी

रिश्ते उन्ही से बनाओ जो निभानेकी औकात रखते हो
बाकी हरेक दिल काबिल-ऐ-वफा नही होता.

हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं
हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर

वो बोलते रहे हम सुनते रहे,
जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे

हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है
जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नही चाहते.

काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
तुम आ कर गले लगा लो मुझे, मेरी इज़ाज़त के बगैर

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,
जिन्हे दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा.

कुछ तारीखें बीतती नहीं
तमाम साल गुज़रने के बाद भी

न जाने किस तरह का इश्क कर रहे है हम,
जिसके कभी हो ही नही सकते उसी के हो रहे है हम.

तू मुझे कहीं लिख कर रखले,
तेरी बातों से मैं निकलता जा रहा हूँ
Love Sad Shayari: दर्द भरी शायरी जख्मों की कहानी

ज़िन्दगी हो या व्हाट्सप्प,
देखने वाले तो सिर्फ स्टेटस ही देखते है

ज़िन्दगी जोकर सी निकली,
कोई अपना भी नहीं, कोई पराया भी नहीं.

नफरत करके क्यों किसी की एहमियत बढ़ानी,
माफ़ करके उसको शर्मिंदा कर देना भी बुरा नहीं..
Sad Shayari :दर्द भरी शायरी जख्मों की कहानी

होता है तो होने दो मेरे कत्ल का सौदा
मुझे भी तो पता चले बज़ार में हमारी क़ीमत क्या है

इन्सान अपनी मर्जी से खामोश नहीं होता
किसी ने बहुत सताया हुआ होता है.

हम तो बेवजह ही करते रहे रौशनी की तलाश,
रात दिये के सहारे कट सकती थी मालूम ना था.

मिल जायेगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता.

हमने सोचा था की बताएँगे सब दुःख दर्द तुमको,
पर तुमने तो इतना भी ना पूछा की खामोश क्यूँ हो

मैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे
चुटकियाँ बजा के वो बोले ऐसे ऐसे ऐसे.

इस तरह चुपचाप से बिताई है ज़िंदगी मैंने,
धड़कन को भी खबर न लगी कि दिल रो रहा है.

दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
थोड़ा सा तो रहने दो, मुझ पर एहसान अपना

मैं रिहाई की दुआ तक नहीं करता
तुम्हीं सोचो कि कैसा गुनाहगार हूँ मैं।

मंगवाई गई है दवा शहर भर के लिए
देखो मर न जाएँ लोग ज़िन्दगी के लिए।

मोहब्बत खा गई जवान नस्लों को
मुरशिद लोग अब त्यौहार नही मातम बनाते है

तिनके को तो फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए,
चट्टानों को दरारों से खौफ़ लगता है।

पता नहीं कब से ये मेरे ज़हन में बात बैठी है
वो मेरा है बस इसमें दूसरी बात क्या है।

जब बात निकली है तो होगी ही
तुम क्यों हमें देखकर मुस्कुराते हो।

जिस्म पर मरने वाले आशिक
क्या जाने मोहब्बत क्या होती है।
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