Kolhapuri Chappal: भारतीय हस्तकला, परंपरा, इतिहास और आधुनिक फैशन में इसकी अनूठी पहचान
June 9, 2025 2025-06-09 12:34Kolhapuri Chappal: भारतीय हस्तकला, परंपरा, इतिहास और आधुनिक फैशन में इसकी अनूठी पहचान
Kolhapuri Chappal: भारतीय हस्तकला, परंपरा, इतिहास और आधुनिक फैशन में इसकी अनूठी पहचान
Kolhapuri Chappal: जानिए कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास, बनाने की प्रक्रिया, खासियतें, GI टैग और आज के फैशन में इसकी लोकप्रियता के बारे में। यह ब्लॉग आपको देगा कोल्हापुरी चप्पल से जुड़ी पूरी जानकारी और पहनने के स्टाइलिश टिप्स।
Kolhapuri Chappal: भारतीय हस्तकला की शान और परंपरा का प्रतीक

भारतीय परंपरा और हस्तशिल्प की बात हो और कोल्हापुरी चप्पल का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से शुरू हुई ये चप्पलें आज देश-विदेश में अपनी खास पहचान बना चुकी हैं। आइए जानते हैं कोल्हापुरी चप्पल की खासियत, इतिहास, बनाने की प्रक्रिया और आज के फैशन में इसकी जगह के बारे में।
700 साल पुरानी विरासत
कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास करीब 13वीं शताब्दी से जुड़ा है। पहले ये राजा-महाराजा और धनाढ्य वर्ग के लोगों के लिए बनती थीं। 18वीं शताब्दी तक यह कला एक बड़े व्यवसाय का रूप ले चुकी थी। अलग-अलग गांवों में बनने वाली चप्पलों के नाम भी अलग-अलग होते थे, जैसे कपाशी, पाई-तान, बक्कलनाली आदि। पतली और हल्की होने के कारण इन्हें कभी-कभी “कनवली” भी कहा जाता था।
कैसे बनती है कोल्हापुरी चप्पल?
कोल्हापुरी चप्पल पूरी तरह हाथ से बनाई जाती है। इसकी मुख्य सामग्री भैंस या अन्य जानवरों का चमड़ा होता है। चमड़े को पहले पानी या तेल में नरम किया जाता है, जिससे वह टिकाऊ और वाटरप्रूफ बन सके। फिर चमड़े को आकार के अनुसार काटा जाता है। सोल और अपर को जोड़ने के लिए स्थानीय चिपकाने वाले पदार्थ का इस्तेमाल होता है। फिर इसे हाथ से सिलाई और कढ़ाई करके सुंदर डिजाइन दी जाती है। रंग और चमक लाने के लिए कई बार ब्रशिंग और पॉलिशिंग भी की जाती है। आखिर में चप्पल को हल्की धूप में सुखाया जाता है।
क्या है कोल्हापुरी चप्पल की खासियत?
- सादगी और मजबूती: एक ही टुकड़े के चमड़े से बनी यह चप्पल बेहद मजबूत और टिकाऊ होती है।
- हस्तशिल्प की मिसाल: हर जोड़ी चप्पल में स्थानीय कारीगरों की मेहनत और कलात्मकता झलकती है।
- डिज़ाइन: पारंपरिक डिजाइन के साथ-साथ अब रंग-बिरंगे धागों, मोतियों और कढ़ाई से भी इन्हें सजाया जाता है।
- आरामदायक: गर्मी, बरसात या किसी भी मौसम में पहनने के लिए उपयुक्त।
- फैशन में ट्रेंड: कोल्हापुरी चप्पलें आजकल सिर्फ पारंपरिक पहनावे ही नहीं, बल्कि जींस, कुर्ता, साड़ी या वेस्टर्न आउटफिट्स के साथ भी खूब पहनी जाती हैं।
कोल्हापुरी चप्पल को मिला GI टैग
#कोल्हापुरी चप्पल को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग मिल चुका है।
अब सिर्फ महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ जिलों
(कोल्हापुर, सोलापुर, सांगली, सतारा, धारवाड़, बगलकोट, बीजापुर, बेलगाम)
में बनी चप्पलों को ही असली कोल्हापुरी चप्पल कहा जा सकता है।
GI टैग मिलने से इन चप्पलों की अंतरराष्ट्रीय पहचान और बाजार में मांग और बढ़ गई है।
कोल्हापुरी चप्पल को कैसे स्टाइल करें?
- पारंपरिक कपड़ों के साथ पहनें, जैसे धोती, साड़ी या कुर्ता-पायजामा।
- वेस्टर्न आउटफिट्स – जींस, शॉर्ट्स या स्कर्ट के साथ भी कोल्हापुरी चप्पल एक स्टाइलिश लुक देती है।
- कॉलेज, ऑफिस या पार्टी – हर मौके के लिए अलग-अलग डिज़ाइन और रंग उपलब्ध हैं।
कोल्हापुरी चप्पल सिर्फ एक फुटवियर नहीं, बल्कि भारतीय हस्तकला, परंपरा और मेहनत का प्रतीक है।
अगर आप कुछ टिकाऊ, आरामदायक और फैशनेबल पहनना चाहते हैं,
तो कोल्हापुरी चप्पल जरूर ट्राई करें।
यह न सिर्फ आपके लुक को खास बनाएगी,
बल्कि भारतीय कारीगरों की कला को भी सपोर्ट करेगी।