Kabhi Alvida Naa Kehna : प्यार, रिश्तों और जुदाई के मुश्किल फैसलों की अनकही कहानी!
June 5, 2025 2025-06-05 15:11Kabhi Alvida Naa Kehna : प्यार, रिश्तों और जुदाई के मुश्किल फैसलों की अनकही कहानी!
Kabhi Alvida Naa Kehna : प्यार, रिश्तों और जुदाई के मुश्किल फैसलों की अनकही कहानी!
Kabhi Alvida Naa Kehna : 2006 में रिलीज़ हुई करण जौहर की फिल्म “Kabhi Alvida Naa Kehna” (कभी अलविदा ना कहना) ने हिंदी सिनेमा में रिश्तों को देखने का नजरिया बदल दिया। यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि रिश्तों की जटिलता, प्यार, शादी और समाज के बीच उलझे सवालों की गहराई को छूती है। शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, अभिषेक बच्चन, प्रीति जिंटा और अमिताभ बच्चन जैसे सितारों से सजी यह फिल्म आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाए हुए है।
कहानी की झलक

Kabhi Alvida Naa Kehna
फिल्म की कहानी दो ऐसे जोड़ों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी-अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं हैं। देव (शाहरुख खान) और माया (रानी मुखर्जी) की मुलाकात एक मोड़ पर होती है, जब दोनों अपनी-अपनी परेशानियों से जूझ रहे होते हैं। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपनी अधूरी खुशियों को एक-दूसरे में ढूंढने लगते हैं। फिल्म में शादी, वफादारी, प्यार और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच की जद्दोजहद को बखूबी दिखाया गया है।
फिल्म की खासियत
“Kabhi Alvida Naa Kehna” की सबसे बड़ी खूबी इसकी ईमानदारी है। यह फिल्म उन सवालों को उठाती है, जिन पर अक्सर समाज में बात करने से कतराया जाता है—क्या शादीशुदा जिंदगी में प्यार और खुशी सबसे जरूरी है? क्या अधूरी शादी में रहना सही है या अपने दिल की सुनना? फिल्म के संवाद, किरदारों की भावनाएं और करण जौहर की निर्देशन शैली इसे खास बनाती है।
संगीत और अभिनय
फिल्म का संगीत भी इसकी आत्मा है। “तुम्हीं देखो ना”, “मितवा” और “कभी अलविदा ना कहना” जैसे गाने आज भी लोगों की प्लेलिस्ट में शामिल हैं। शाहरुख और रानी की केमिस्ट्री, अभिषेक बच्चन की मासूमियत और अमिताभ बच्चन का चार्म फिल्म को और भी खास बना देता है।
संदेश और प्रभाव
यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों में ईमानदारी और संवाद कितना जरूरी है। यह हमें यह भी सिखाती है कि कभी-कभी किसी को अलविदा कहना ही सही रास्ता होता है, लेकिन अगर दिल से जुड़ाव हो तो “कभी अलविदा ना कहना” भी जरूरी हो जाता है।
बॉलीवुड में जब भी रिश्तों की जटिलता और दिल के गहरे जज़्बातों की बात आती है, तो करण जौहर की फिल्म ‘कभी अलविदा ना कहना’ (2006) का नाम ज़रूर लिया जाता है। यह फिल्म सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि समाज, शादी, दोस्ती और आत्ममंथन के कई सवालों को छूती है। शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, अभिषेक बच्चन, प्रीति जिंटा और अमिताभ बच्चन जैसे बेहतरीन कलाकारों से सजी यह फिल्म आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए है।
कहानी की परतें
फिल्म की कहानी न्यूयॉर्क शहर में बसे दो शादीशुदा जोड़ों—देव (शाहरुख खान)
और रिया (प्रीति जिंटा), माया (रानी मुखर्जी) और ऋषि (अभिषेक बच्चन)
के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों ही जोड़ियां अपनी-अपनी शादी में अधूरी और असंतुष्ट हैं।
एक संयोगवश मुलाकात के बाद, देव और माया की दोस्ती गहरी होती जाती है
और वे एक-दूसरे में अपनी अधूरी खुशियों को तलाशने लगते हैं। फिल्म में यह दिखाया गया है
कि कैसे कभी-कभी सही इंसान से मिलने के लिए हमें गलत रास्तों से भी गुजरना पड़ता है।
रिश्तों की जटिलता
‘कभी अलविदा ना कहना’ की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह रिश्तों को सिर्फ सही-गलत के
तराजू में नहीं तौलती। इसमें दिखाया गया है कि हर रिश्ता परफेक्ट नहीं होता, और कभी-कभी प्यार
और जिम्मेदारी के बीच का फासला बहुत मुश्किल हो जाता है। फिल्म के किरदार अपनी भावनाओं
समाज की उम्मीदों और अपने दिल की आवाज़ के बीच उलझे रहते हैं।
अभिनय और संगीत
फिल्म का संगीत इसकी आत्मा है। ‘मितवा’, ‘तुम्हीं देखो ना’ और टाइटल ट्रैक ‘कभी अलविदा ना कहना’
आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। शाहरुख और रानी की केमिस्ट्री, अभिषेक की मासूमियत
और अमिताभ बच्चन का शानदार अभिनय फिल्म को और भी खास बना देता है।