इंफोसिस ADR न्यूज : 20 दिसंबर 2025 को अमेरिकी शेयर बाजार में एक बेहद अजीब घटना घटी। इंफोसिस (Infosys ADR) का स्टॉक न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) पर अचानक 50% से ज्यादा उछल गया। यह उछाल कुछ मिनटों में हुआ और फिर तेजी से वापस गिरकर सामान्य स्तर पर आ गया। मार्केटवॉच की रिपोर्ट के अनुसार, यह “वॉल स्ट्रीट का बड़ा फ्राइडे मिस्ट्री” बन गया। ट्रेडिंग में हुई इस घटना ने निवेशकों और एक्सपर्ट्स को हैरान कर दिया। आइए जानते हैं पूरी कहानी और इसके पीछे के संभावित कारण।
इंफोसिस ADR न्यूज क्या हुआ था उस दिन!
- स्टॉक प्राइस: सुबह 9:30 बजे (NY समय) इंफोसिस ADR का प्राइस $18 के आसपास था।
- उछाल: कुछ सेकंड में यह $27.50 तक पहुंच गया (लगभग +50% का जंप)।
- गिरावट: अगले 10-15 मिनट में ही वापस $18.50 के करीब आ गया।
- ट्रेडिंग वॉल्यूम: इस दौरान वॉल्यूम सामान्य से 10 गुना ज्यादा हो गया।
- फाइनल क्लोज: दिन के अंत में स्टॉक $18.20 पर बंद हुआ (सिर्फ 0.5% ऊपर)।

यह घटना प्री-मार्केट या रेगुलर ट्रेडिंग में नहीं, बल्कि ओपनिंग बेल के ठीक बाद हुई। कई ट्रेडर्स ने इसे “फ्लैश क्रैश” या “फ्लैश रैली” कहा।
संभावित कारण क्या हो सकते हैं?
एक्सपर्ट्स और मार्केट एनालिस्ट्स ने कई थ्योरी दी हैं:
- ट्रेडिंग एरर या गलत ऑर्डर किसी बड़े फंड या ट्रेडर ने गलती से बहुत बड़ी मात्रा में बाय ऑर्डर लगाया। जैसे कि $18 की बजाय $28 का प्राइस टाइप हो गया।
- शॉर्ट स्क्वीज कई शॉर्ट सेलर्स थे जो स्टॉक पर बेयरिश थे। अचानक कोई बड़ा बायर आया और शॉर्ट कवरिंग शुरू हो गई।
- एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग ग्लिच हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) एल्गोरिदम में गड़बड़ी। एक छोटी सी गलती ने कैस्केडिंग ऑर्डर ट्रिगर कर दिया।
- फेक न्यूज या रूमर सोशल मीडिया पर कोई फेक न्यूज फैली कि “इंफोसिस को $30 अरब का डील मिला”। लेकिन कोई ऑफिशियल कन्फर्मेशन नहीं।
- मार्केट मेकर की भूमिका NYSE पर कुछ मार्केट मेकर्स ने लिक्विडिटी प्रोवाइड करने में गड़बड़ी की।
इंफोसिस का बैकग्राउंड
इंफोसिस इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। 2025 में कंपनी का फोकस AI, क्लाउड और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर रहा। Q3 2025 रिजल्ट्स अच्छे थे, लेकिन ग्रोथ स्लो रही। स्टॉक पिछले 6 महीने में 15-20% नीचे था। इस घटना से पहले भी स्टॉक में कोई बड़ा मूवमेंट नहीं था।
निवेशकों की प्रतिक्रिया!
- रिटेल ट्रेडर्स: कई ने इसे खरीदने की कोशिश की, लेकिन गिरावट से नुकसान हुआ।
- इंस्टीट्यूशनल: बड़े फंड्स ने इसे “नॉन-इवेंट” कहा।
- SEBI और NSE: भारत में भी नजर रखी जा रही है, क्योंकि इंफोसिस NSE पर लिस्टेड है।
क्या सीख मिली?
- मार्केट में वोलेटिलिटी: छोटी गलती भी बड़ा मूवमेंट पैदा कर सकती है।
- एल्गो ट्रेडिंग का खतरा: हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग में सख्त कंट्रोल जरूरी।
- ट्रेडिंग सावधानी: ऐसे उछाल पर तुरंत बाय न करें।
इंफोसिस के CEO सलिल पारेख ने कोई कमेंट नहीं किया। कंपनी ने कहा कि “यह मार्केट की सामान्य घटना है”।
यह घटना 2010 के फ्लैश क्रैश (जब डाउ 1000 पॉइंट गिरा) की याद दिलाती है। क्या यह सिर्फ एक गलती थी या कुछ बड़ा? वॉल स्ट्रीट अभी भी जांच कर रही है।












