रक्षाबंधन का इतिहास: भाई-बहन के अटूट बंधन की अनोखी कहानी!
March 18, 2025 2025-03-18 15:59रक्षाबंधन का इतिहास: भाई-बहन के अटूट बंधन की अनोखी कहानी!
रक्षाबंधन का इतिहास: भाई-बहन के अटूट बंधन की अनोखी कहानी!
रक्षाबंधन का इतिहास : रक्षाबंधन भारत के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है
जिसे भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं
और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन का यह पावन पर्व सदियों पुराना है और इसके पीछे कई ऐतिहासिक
और पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं आइए जानते हैं इस त्योहार के इतिहास की अनोखी कहानी।

रक्षाबंधन का पौराणिक इतिहास
कृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत में रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है। कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया
तो उनके हाथ में चोट लग गई और खून निकलने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का
एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। इस स्नेहपूर्ण कार्य से कृष्ण अत्यंत प्रभावित हुए
और उन्होंने द्रौपदी को यह वचन दिया कि वे जीवनभर उनकी रक्षा करेंगे। यही कारण था
कि जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया, तब श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की
और उनकी साड़ी को बढ़ा दिया। यह घटना भाई-बहन के अटूट प्रेम और रक्षाबंधन के महत्व को दर्शाती है।
रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी
मध्यकालीन भारत में रक्षाबंधन की एक ऐतिहासिक घटना भी दर्ज है। जब गुजरात की विधवा रानी
कर्णावती को बहादुर शाह के आक्रमण का डर था, तो उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को एक राखी
भेजकर सहायता मांगी। हुमायूं ने इसे बहन का प्रेम माना और तुरंत अपनी सेना के साथ चित्तौड़
की रक्षा के लिए निकल पड़े। हालांकि, वे समय पर नहीं पहुंच सके
लेकिन इस घटना ने रक्षाबंधन के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया।
अन्य ऐतिहासिक संदर्भ
रक्षाबंधन का त्योहार केवल हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे
सिखों और जैन धर्मावलंबियों द्वारा भी मनाया जाता है।
सिख धर्म में, गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को रक्षा सूत्र बांधने
की परंपरा शुरू की थी, जिसे ‘राखी बंधन’ के रूप में जाना जाता है।
रक्षाबंधन का आधुनिक महत्व
आज के समय में रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है।
कई जगहों पर इसे रक्षा के व्यापक संदर्भ में मनाया जाता है। भारतीय सेना के जवानों को
भी इस दिन राखी बांधी जाती है, ताकि वे देश की रक्षा करते रहें।
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि प्रेम स्नेह और रक्षा का प्रतीक है।
यह पर्व हमें बताता है कि भाई-बहन का रिश्ता कितना पवित्र और महत्वपूर्ण होता है।
सदियों से चली आ रही यह परंपरा हमें पारिवारिक मूल्यों और आपसी सहयोग का महत्व सिखाती है।
इस रक्षाबंधन, आइए हम भी अपने प्रियजनों के साथ इस अनमोल बंधन
का जश्न मनाएँ और प्रेम व सुरक्षा की इस परंपरा को आगे बढ़ाएँ।