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पूर्व आईपीएस अधिकारी पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी 20 साल पुराने भूमि विवाद में साजिश या न्याय पत्नी ने लगाए प्रतिशोध के आरोप!

On: December 11, 2025 10:09 AM
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पूर्व आईपीएस अधिकारी

पूर्व आईपीएस अधिकारी : उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी ने एक बार फिर सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 10 दिसंबर 2025 की अंधेरी सुबह करीब 1:20 बजे शाहजहांपुर में लखनऊ-दिल्ली ट्रेन से उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी 20 साल पुराने देवरिया जिले के भूमि विवाद से जुड़ी है, जिसमें जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जमीन हड़पने का आरोप लगाया गया है। ठाकुर की पत्नी और आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने इसे “रची गई साजिश” बताते हुए प्रतिशोध का आरोप लगाया है। क्या यह न्याय का पालन है या भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को चुप कराने की कोशिश? आइए, इस मामले की गहराई में उतरें।

अमिताभ ठाकुर कौन हैं? एक साहसी व्हिसलब्लोअर की कहानी

अमिताभ ठाकुर, 57 वर्षीय पूर्व आईपीएस अधिकारी, बिहार के रहने वाले हैं। आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद 1992 में उन्होंने यूपी कैडर में आईपीएस जॉइन किया। उनकी पहली पोस्टिंग 1994 में गोरखपुर में एडिशनल एसपी के रूप में हुई। करियर के दौरान उन्हें 24 बार ट्रांसफर किया गया, जो उनके साहस का प्रमाण है। ठाकुर ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों में पुलिस सुधार, जनकल्याण और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उन्होंने कई व्हिसलब्लोअर रोल निभाया।

पूर्व आईपीएस अधिकारी
पूर्व आईपीएस अधिकारी

2013 में अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें साइडलाइन करने के लिए स्पेशल एसपी का पद बनाया, लेकिन ठाकुर ने हार नहीं मानी। 2021 में एक आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया, जहां छह महीने जेल काटने के बाद बेल मिली। राजनीतिक किसी भी खेमे से जुड़े बिना, उन्होंने कानपुर के एक वकील और वरिष्ठ अधिकारी पर अवैध संपत्ति अर्जन का आरोप लगाकर जांच की मांग की। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में भी कई भ्रष्टाचार के केस लंबित हैं। ठाकुर का मानना है कि सिस्टम को साफ करने का प्रयास ही उन्हें निशाना बनाता है।

20 साल पुराना भूमि विवाद क्या है पूरी कहानी?

यह विवाद देवरिया जिले की एक प्लॉट से जुड़ा है, जो ठाकुर के एसपी रहते हुए (लगभग 2005 या उससे पहले) खरीदी-बिकी। शिकायतकर्ता संजय शर्मा, लखनऊ के राजाजीपुरम के सामाजिक कार्यकर्ता, ने 12 सितंबर 2025 को एफआईआर दर्ज कराई। आरोप है कि ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ने फर्जी नाम, पते, आवेदन फॉर्म, हलफनामा, ट्रेजरी चालान और ट्रांसफर डीड का इस्तेमाल कर जमीन अवैध रूप से हासिल की और पैसे के लालच में बेच दी।

  • इंडियन पीनल कोड की कई धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ। इसके बाद स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित की गई
  • जिसने आरोपों को सही पाया। लखनऊ वेस्ट के डीसीपी विश्वजीत श्रीवास्तव ने कहा, “एसआईटी ने पाया कि
  • अमिताभ ठाकुर ने देवरिया एसपी रहते अपनी पत्नी के साथ जमीन अवैध रूप से हासिल की और बेची।
  • 10 दिसंबर को ट्रेन से गिरफ्तार कर उन्हें देवरिया कोर्ट में पेश किया गया। यह मामला 20 साल पुराना होने के
  • बावजूद अचानक क्यों सुर्खियों में आया, यही सवाल उठ रहा है।

पत्नी नूतन ठाकुर का आरोप: “यह प्रतिशोध की साजिश है”

आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने गिरफ्तारी को “अनुचित” बताते हुए कहा, “यह केस रचा गया है, जिसमें छिपे हुए मकसद हैं। मेरा पति 20 साल पहले देवरिया में था, लेकिन अब यह मामला क्यों?” उन्होंने दावा किया कि ठाकुर की गिरफ्तारी उनके भ्रष्टाचार उजागर करने से जुड़ी है, जहां सरकारी संरक्षण वाले अपराधी निशाना बनते हैं। नूतन ने चेतावनी दी कि खुद पर भी ऐसी कार्रवाई हो सकती है। उनका बयान भावुक था: “वह हर भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दे उठाते हैं, जिसमें सरकार का कोई न कोई शामिल होता है। पहले भी उन्हें गिरफ्तार किया गया क्योंकि वे सिस्टम को साफ करने की कोशिश कर रहे थे। जो शक्तिशाली लोगों को उजागर करते हैं, उन्हें परेशान किया जाता है। हम ऐसी मुश्किलों के लिए तैयार हैं।”

  • नूतन का यह आरोप यूपी पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठाता है।
  • क्या पुराने मामलों को हथियार बनाकर व्हिसलब्लोअर्स को डराया जा रहा है? ठाकुर की 2021 की गिरफ्तारी भी इसी पैटर्न की याद दिलाती है।

इस गिरफ्तारी का व्यापक प्रभाव: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज दबेगी?

अमिताभ ठाकुर जैसे अधिकारी सिस्टम के आईने होते हैं। उनकी गिरफ्तारी न केवल व्यक्तिगत हमला लगती है, बल्कि पूरे व्हिसलब्लोअर तंत्र पर चोट है। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के केस बढ़ रहे हैं, लेकिन उजागर करने वालों को ही सजा मिलना लोकतंत्र के लिए खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि एसआईटी की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आए। अगर आरोप सही साबित हुए, तो कानून अपना काम करेगा, लेकिन अगर साजिश निकली, तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई जरूरी।

  • यह मामला पुलिस सुधार और पारदर्शिता की बहस को हवा देगा। ठाकुर की तरह कई ईमानदार
  • अधिकारी चुप क्यों हो रहे हैं? नूतन ठाकुर ने अपील की है कि जनता और मीडिया इस पर नजर रखें।
  • फिलहाल, ठाकुर कोर्ट में हैं, और केस की अगली सुनवाई का इंतजार है।

न्याय की उम्मीद

अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी एक सबक है कि सच्चाई बोलना कितना महंगा पड़ सकता है। लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसे लोग ही बदलाव लाते हैं। उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और साजिश अगर हुई, तो बेनकाब होगी। क्या आपका कोई विचार है? कमेंट में बताएं।

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