प्रशांत किशोर वोटर आईडी : चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर निर्वाचन आयोग की नजर दो वोटर आईडी मामले में फंसे। EC ने 3 दिन के भीतर जवाब मांगा। जानिए पूरा मामला और अब आगे क्या होगा।
प्रशांत किशोर पर निर्वाचन आयोग की सख्ती
प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज आंदोलन के नेता प्रशांत किशोर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। निर्वाचन आयोग (EC) ने उन्हें दो वोटर आईडी कार्ड रखने के मामले में नोटिस जारी किया है। आरोप है कि उनके पास दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से बने वोटर आईडी कार्ड मौजूद हैं। आयोग ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए उनसे तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।

यह मामला तब चर्चा में आया जब कुछ राजनीतिक संगठनों ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि प्रशांत किशोर का नाम दो निर्वाचन सूचियों में दर्ज है—एक पटना जिले में और दूसरा गोपालगंज के निर्वाचन क्षेत्र में। इस पर EC ने तुरंत जांच शुरू की और साक्ष्य मिलने पर उन्हें नोटिस भेजा।
मामले की पृष्ठभूमि
- प्रशांत किशोर, जो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसी हस्तियों की
- चुनावी रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं, पिछले कुछ सालों से बिहार में अपने संगठन
- “जन सुराज” के माध्यम से राजनीति में सक्रिय हैं। उनका उद्देश्य बिहार
- में एक पारदर्शी राजनीतिक विकल्प तैयार करना है।
लेकिन इस नए विवाद ने उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता। इस कानून के अनुसार यह गंभीर उल्लंघन है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
EC का नोटिस और मांगा गया जवाब
- निर्वाचन आयोग ने प्रशांत किशोर को नोटिस भेजते हुए कहा है कि वे स्पष्ट करें
- कि कैसे उनके नाम पर दो वोटर आईडी कार्ड जारी हुए। उन्हें तीन दिनों की समय सीमा दी गई है।
- यदि वे संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है
- जिसमें दोनों वोटर आईडी रद्द करने या आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।
EC की कार्यवाही उस समय आई है जब बिहार में आने वाले पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियाँ चल रही हैं। ऐसे में यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माना जा रहा है।
प्रशांत किशोर की संभावित सफाई
- प्रशांत किशोर की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
- हालांकि, उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि यह तकनीकी गलती हो सकती है।
- संभव है कि पुराना डेटा हटाया नहीं गया हो और नया पंजीकरण अपडेट न हुआ हो।
- उनके समर्थकों का तर्क है कि प्रशांत किशोर ने खुद को एक ही स्थान पर वोटर के
- रूप में दर्ज कराया था, परंतु पिछली प्रविष्टि स्वचालित रूप से नहीं हटाई गई।
- ऐसे मामलों में आमतौर पर तकनीकी जांच के बाद डुप्लिकेट रिकॉर्ड रद्द कर दिए जाते हैं।
राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल
इस नोटिस के बाद बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए कहा है कि “जन सुराज” आंदोलन चलाने वाले व्यक्ति को पहले खुद पारदर्शी होना चाहिए। दूसरी ओर, प्रशांत किशोर के समर्थक कह रहे हैं कि यह राजनीतिक दबाव का परिणाम है, क्योंकि उनके आंदोलन को बिहार में तेजी से समर्थन मिल रहा है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मामला बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकता है खासकर यदि EC ने सख्त रुख अपनाया।
कानूनी दृष्टिकोण और संभावित कार्रवाई
- कानूनी रूप से यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर दो वोटर आईडी बनवाता है
- तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के तहत यह दंडनीय है
- और दोषी पाए जाने पर जेल या जुर्माना हो सकता है। हालांकि, EC पहले तथ्यों की जांच करेगा
- और तकनीकी गलती होने पर चेतावनी देकर मामला निपटा सकता है।
यदि प्रशांत किशोर उचित प्रमाण प्रस्तुत कर देते हैं कि यह मात्र सिस्टम एरर था, तो उन्हें राहत मिल सकती है। लेकिन अगर EC को विसंगति के पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो यह मामला मीडिया और राजनीति दोनों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
लोकप्रियता पर असर
- प्रशांत किशोर की छवि एक रणनीतिकार और सुधारवादी नेता की रही है।
- इस विवाद से उनके जन सुराज अभियान पर असर पड़ सकता है
- क्योंकि वे लगातार “स्वच्छ और ईमानदार राजनीति” की बात करते हैं।
- जनता की नजर अब उनके जवाब और आगामी EC निर्णय पर टिकी है।
प्रशांत किशोर का दो वोटर आईडी केस बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बाद साफ संकेत है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। अब देखना होगा कि प्रशांत किशोर क्या जवाब देते हैं और आयोग आगे क्या निर्णय लेता है।












