Delhi Cloud Seeding 2025: जानिए दिल्ली में 2025 में पहली बार क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश का प्रयोग कैसे प्रदूषण घटाने में मदद करेगा। इस तकनीक की प्रक्रिया, फायदे, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं विस्तार से समझें।
Delhi Cloud Seeding 2025: प्रदूषण से लड़ने के लिए दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बारिश की तैयारी

दिल्ली में हर साल दिवाली के बाद बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए 2025 में एक नया और व्यापक कदम उठाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश कर वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। यह एक अत्याधुनिक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसमें बादलों में विशेष पदार्थ छोड़कर बारिश करवाई जाती है ताकि हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को धूल और जहरीले कणों सहित नीचे गिराया जा सके।
क्लाउड सीडिंग क्या है?
क्लाउड सीडिंग मौसम को नियंत्रित करने की एक तकनीक है,
जिसमें हवाई जहाज के माध्यम से बादलों में सिल्वर आयोडाइड, नमक के कण या अन्य पदार्थ छोड़े जाते हैं।
ये पदार्थ पानी के कणों के आसपास गोलबंद हो जाते हैं
और बारिश के लिए बादलों को सक्रिय करते हैं।
इससे जब बारिश होती है तो हवा से धूल-कण,
प्रदूषक और जहरीले पदार्थ नीचे गिर जाते हैं,
जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट 2025
- दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर के सहयोग से इस तकनीक को लागू करने के लिए 2025 में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके तहत modified Cessna-206H हवाई जहाज का उपयोग करके उत्तर दिल्ली के बुराड़ी इलाके के ऊपर बादलों में क्लाउड सीडिंग की गई।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो अक्टूबर के अंत यानी 29 तारीख को दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बारिश का अनुभव होगा।
- इसके लिए मौसम विभाग और पर्यावरण विभाग ने सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली है। दो पायलटों ने टेस्ट फ्लाइट्स और फेयर डिप्लॉयमेंट का अभ्यास भी कर लिया है।
- इस तकनीक से दिल्ली के प्रदूषण की गंभीर समस्या में अस्थाई राहत मिलेगी, खासकर दिवाली के बाद जब AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बहुत खराब हो जाता है।
तकनीकी चुनौतियां और संभावनाएं
- क्लाउड सीडिंग उन बादलों में होती है जिनमें पर्याप्त नमी होती है।
- दिल्ली में सर्दियों के मौसम में बादल कम होते हैं और इस वजह से बारिश की संभावना कम होती है, इसलिए क्लाउड सीडिंग के सफल होने के मौके सीमित हैं।
- वैज्ञानिकों की राय में यह तकनीक केवल अस्थाई समाधान हो सकती है
- न कि प्रदूषण का स्थायी समाधान। बारिश के बाद प्रदूषक जमीन पर गिरे तो हवा थोड़ी साफ होगी, लेकिन बाद में प्रदूषण फिर से बढ़ सकता है।
- इसके बावजूद, दिल्ली सरकार ने इस तकनीक को प्रदूषण नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण कदम माना है और इसे भविष्य में अन्य भारतीय नगरों के लिए मॉडल बनाने की उम्मीद है।
क्लाउड सीडिंग का महत्व
- दिल्ली जैसे बड़े और प्रदूषित महानगरों के लिए क्लाउड सीडिंग
- तकनीक प्राकृतिक संसाधनों की कमी और बढ़ते प्रदूषण के
- बीच राहत का अनूठा माध्यम बन सकती है।
- यह तकनीक दीर्घकालिक रणनीतियों के साथ मिलकर हवा की
- गुणवत्ता सुधारने में मदद करेगी,
- जिससे जनता को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकेगा।
- दिल्ली में अक्टूबर 2025 में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट ने एक नया अध्याय खोला है
- जो प्रदूषण से लड़ने के लिए तकनीकी समाधान तलाश रहा है।
- अगर मौसम अनुकूल रहा तो दिल्लीवासियों को 29 अक्टूबर से कृत्रिम
- बारिश के जरिए प्रदूषण में अस्थायी कमी देखने को मिलेगी।
- यह पहल दिल्ली सरकार, IIT कानपुर और भारतीय मौसम विभाग के सहयोग से हुई है,
- जिसके जरिए प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक वैज्ञानिक और तकनीकी कदम उठाया गया है।
- हालांकि यह समाधान पूरी समस्या का स्थायी हल नहीं है,
- फिर भी यह वायु गुणवत्ता सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग माना जा रहा है।












