Dara Singh: भारतीय पहलवान से सुपरस्टार अभिनेता तक का प्रेरणादायक सफर, उपलब्धियाँ, फिल्में और विरासत
June 10, 2025 2025-06-10 2:09Dara Singh: भारतीय पहलवान से सुपरस्टार अभिनेता तक का प्रेरणादायक सफर, उपलब्धियाँ, फिल्में और विरासत
Dara Singh: भारतीय पहलवान से सुपरस्टार अभिनेता तक का प्रेरणादायक सफर, उपलब्धियाँ, फिल्में और विरासत
Dara Singh: जानिए दारा सिंह की प्रेरणादायक जीवनी, उनके बचपन, पहलवानी के सफर, फिल्मों में योगदान, रामायण में हनुमान के किरदार और उनके द्वारा पाई गई उपलब्धियों के बारे में। पढ़ें कैसे दारा सिंह ने मेहनत, लगन और ईमानदारी से भारतीय खेल और सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी।
Dara Singh: भारतीय पहलवानी और सिनेमा का महानायक

दारा सिंह, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही भारतीय पहलवानी और सिनेमा दोनों की यादें ताजा हो जाती हैं। वे न सिर्फ अखाड़े के महारथी थे, बल्कि हिंदी फिल्मों और टीवी में भी उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। अपनी ताकत, मेहनत और सादगी से दारा सिंह ने करोड़ों दिलों में जगह बनाई।
प्रारंभिक जीवन
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब के अमृतसर जिले के धरमूचक्क गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था। बचपन से ही वे मजबूत कद-काठी और मेहनती स्वभाव के थे। खेतों में काम करते-करते ही उन्होंने अपनी ताकत को पहचाना और पहलवानी की ओर कदम बढ़ाया।
पहलवानी का सफर
दारा सिंह ने 1947 में पेशेवर पहलवानी की शुरुआत की। उन्होंने देश-विदेश में कई दिग्गज पहलवानों को हराया। 1959 में उन्होंने ‘रुस्तम-ए-हिंद’ का खिताब जीता। 1968 में विश्व चैंपियन किंग कांग को हराकर वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मशहूर हो गए। उनकी कुश्ती के मुकाबले देखने के लिए हजारों लोग उमड़ पड़ते थे।
सिनेमा में कदम
अपनी लोकप्रियता के चलते दारा सिंह ने फिल्मों में भी हाथ आजमाया। 1952 में उनकी पहली फिल्म ‘संगदिल’ थी। इसके बाद उन्होंने करीब 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। ‘किंग कांग’, ‘फौलाद’, ‘महाराजा’, ‘मर्द’, ‘धर्मात्मा’ जैसी फिल्मों में उनकी भूमिका आज भी याद की जाती है। वे अपने दमदार शरीर और एक्शन सीन्स के लिए मशहूर थे।
रामायण में हनुमान का किरदार
दारा सिंह को सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित ‘रामायण’ धारावाहिक में हनुमान जी की भूमिका निभाने से। उनका यह किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा है। उनकी मासूमियत, ताकत और संवाद अदायगी ने हनुमान जी के किरदार को जीवंत बना दिया।
सम्मान और पुरस्कार
- 1983 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।
- 1996 में वे राज्यसभा के सदस्य बने।
- उन्हें ‘रुस्तम-ए-हिंद’ और ‘रुस्तम-ए-ज़माना’ जैसे खिताब भी मिले।
व्यक्तित्व और विरासत
दारा सिंह जितने बड़े पहलवान और अभिनेता थे,
उतने ही सरल और विनम्र इंसान भी थे।
वे हमेशा युवाओं को मेहनत और ईमानदारी से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे।
12 जुलाई 2012 को उनका निधन हो गया,
लेकिन उनकी यादें और प्रेरणा आज भी हमारे बीच जीवित हैं।
दारा सिंह का जीवन इस बात का उदाहरण है
कि सच्ची लगन, मेहनत और ईमानदारी से कोई भी
ऊँचाई हासिल की जा सकती है।
वे आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
चाहे अखाड़ा हो या सिनेमा,
दारा सिंह का नाम हमेशा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाएगा।