बिहार चुनाव तेजस्वी यादव : तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में 4% वोटों की कमी को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव का ‘कास्ट एंड अलायंस फॉर्मूला’ अपनाया है। जानिए इस रणनीति से कैसे बदलेंगे बिहार के चुनावी समीकरण और महागठबंधन को मिलेगा कितना फायदा।
क्या है ‘अखिलेश फॉर्मूला’?
उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में जब अखिलेश यादव ने अपने पारंपरिक यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ गैर-यादव ओबीसी, दलित और अन्य छोटे-छोटे वर्गीय दलों के साथ गठजोड़ किया, तो समाजवादी पार्टी ने वोट प्रतिशत में जबरदस्त बढ़ोतरी की। इसी रणनीति को ‘अखिलेश फॉर्मूला’ कहा जाता है – जिसमें Social Engineering & सेक्युलर वोटों की एकजुटता है।

तेजस्वी यादव ने अब वही फॉर्मूला बिहार में अपनाने की ठान ली है। वे सिर्फ यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर नहीं रहना चाहते, बल्कि गैर-यादव पिछड़ी जातियां, महादलित, अतिपिछड़ा, अति पिछड़ा, ब्राह्मण, राजपूत, कुशवाहा, निषाद, मुसहर समेत छोटे वर्गीय वोटों को जोड़ने की कोशिश में हैं।
कैसे पाटेंगे 4% वोटों की कमी?
- छोटे दलों से गठबंधन:
- तेजस्वी ने पिछड़े, अतिपिछड़े और दलित समुदाय के छोटे दलों से व्यापक गठबंधन की
- रणनीति अपनाई है, जिससे महागठबंधन का जनाधार मजबूत होगा।
- कास्ट बेस्ड रैलियां और सम्मेलन:
- हर जिले में जातीय सम्मेलन आयोजित कर, सामाजिक संदेश दिया जा रहा है
- कि सत्ता सिर्फ कुछ वर्गों के लिए नहीं, सभी के लिए है।
- महिला वोट बैंक पर फोकस:
- महिला आरक्षण और सशक्तिकरण के मुद्दे को तेजस्वी ने मजबूती से उठाया है
- ताकि महिला वोटर्स का झुकाव महागठबंधन की ओर बढ़े।
- युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के वादे:
- युवा और बेरोजगार वोटर्स को जोड़ने के लिए तेजस्वी ने अपने
- घोषणापत्र में रोजगार व शिक्षा पर खास वायदे किए हैं।
- साझा मंच पर विपक्षी नेताओं की एकजुटता:
- यूपी के स्टाइल में बड़े मंचों पर चौतरफा एकजुटता दिखाकर विपक्ष को मजबूत संदेश दिया जा रहा है।
क्या असर होगा चुनाव पर?
- अगर तेजस्वी का ये फॉर्मूला सफल रहा तो महागठबंधन को उन सीटों पर भी बढ़त मिल सकती है
- जहां 2020 में मामूली अंतर से हार मिली थी। गैर-यादव ओबीसी, महादलित और महिला वोट जोड़ने
- से 4% वोट स्विंग हासिल करना संभव है। यह NDA के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।
किसे मिलेगा फायदा?
- महागठबंधन:
तेजस्वी यादव का गठबंधन बीजेपी और JDU के किले को कमजोर कर सकता है। सीटें 100 के आंकड़े से ऊपर जा सकती हैं। - छोटे दल:
समाज में अलग-अलग पहचान रखने वाले छोटे दलों को हक मिलेगा और वे सत्ता में साझीदार बन सकते हैं।
- 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव इस बार पूरी तरह Social Engineering पर केंद्रित है।
- तेजस्वी यादव द्वारा अखिलेश फॉर्मूला अपनाकर 4% वोटों की अंतिम कमी को पूरा करने की पूरी कोशिश की जा रही है।
- यदि यह रणनीति सफल होती है, तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।







