बिहार चुनाव अशोक यादव बयान BJP सांसद अशोक यादव ने मुसलमानों पर विवादित तंज किया, कहा अगर वोट नहीं देंगे तो कहो ‘तौबा-तौबा’, मुफ्त सुविधाएं न लें। बयान से सियासत गरमाई, विपक्ष ने कार्रवाई की मांग की है।
बिहार चुनाव अशोक यादव बयान मुसलमान समुदाय की प्रतिक्रिया
#बिहार चुनाव 2025 में BJP सांसद अशोक यादव के विवादित बयान पर मुसलमान समुदाय की प्रतिक्रिया काफी तीव्र रही। उनके बयान में मुसलमानों को लेकर की गई टिप्पणी को अपमानजनक और विभाजनकारी बताया गया। कई मुस्लिम नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इसे समुदाय के प्रति नफ़रतभरा और असंवैधानिक करार दिया। उनका मानना था कि इस तरह के बयान सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और चुनावी राजनीति को सांप्रदायिक रंग देने वाले हैं।
विवादित बयान का सार

BJP सांसद अशोक यादव ने दरभंगा की चुनावी रैली में कहा कि मुसलमानों को अगर प्रधानमंत्री मोदी से नफरत है तो मुफ्त की सुविधाएं लेने से तौबा-तौबा कर लेनी चाहिए। उन्होंने मुस्लिमों को चुनौती देते हुए कहा कि वे सरकार से मिलने वाले लाभों का विरोध करें या समर्थन दिखाएं। यह बयान राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा में रहा।
अशोक यादव के बयान का राजनीतिक प्रभाव
उनका यह बयान बिहार के चुनावी माहौल को और गर्मा गया है। विपक्षी दलों ने इसे चुनाव को पूरी तरह ध्रुवीकरण करने वाला और गैर-जिम्मेदाराना बताया है। वहीं भाजपा समर्थकों ने इसे सच्चाई बताकर समर्थन किया। राजनीतिक पार्टियां इस बयान के बाद अपनी रणनीतियों को फिर से देखने लगी हैं।
मुसलमान समुदाय की प्रतिक्रियाएं
मुस्लिम समुदाय में इस बयान को नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। कई लोगों ने
इसे अपमानजनक और जनभावनाओं को भड़काने वाला बताया।
सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका जताई गई और शांति बनाए रखने की अपील की गई।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
आरजेडी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस बयान की कड़ी निंदा की
और चुनाव आयोग से कार्रवाई करने की मांग की। उनका कहना है
कि यह बयान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करता है और लोकतंत्र के लिए खतरा है।
चुनाव आयोग और प्रशासन की भूमिका
चुनाव आयोग ने विवाद पर नजर रखते हुए कई विवादित बयानों पर कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है।
प्रशासन और चुनाव अधिकारी इसे गंभीरता से ले रहे हैं
ताकि चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके।
बयान का चुनाव रणनीति में स्थान
विश्लेषकों के अनुसार यह बयान भाजपा के कट्टर समर्थकों को उत्साहित करने की रणनीति का हिस्सा है।
चुनावों में polarisation बढ़ाकर वोट बैंक मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है।
हालांकि इससे सामाजिक तनाव बढ़ने का खतरा भी है।
सामाजिक सौहार्द और लोकतंत्र की चुनौती
ऐसे विवादित बयान समाज में द्वेष फैलाने वाले हो सकते हैं,
जो लोकतंत्र की नींव के लिए खतरनाक हैं।
सामाजिक एकता बनाए रखना और गैर-जातिगत व
गैर-सांप्रदायिक चुनाव होना जरूरी है ताकि विकास के मुद्दे चर्चा में रहें।








