यूपी सर्किल रेट : उत्तर प्रदेश में सर्किल रेट के नियमों में हाल ही में योगी सरकार द्वारा किए गए बड़े बदलाव से भूमि एवं संपत्ति का मूल्यांकन और रजिस्ट्री प्रक्रिया अब सरल, त्वरित और पारदर्शी हो गई है। पुराने जटिल और असमान नियमों को सरलीकृत कर पूरे प्रदेश में एक समान और स्पष्ट मानक लागू किए गए हैं, जिससे आम जनता को कई लाभ होंगे। इस ब्लॉग पोस्ट में इस बदलाव के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है।
उत्तर प्रदेश में सर्किल रेट सुधार की पृष्ठभूमि
सर्किल रेट वह न्यूनतम कीमत होती है जिस पर जमीन या संपत्ति की खरीद-बिक्री सरकारी स्तर पर होती है। यह स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस के निर्धारण का आधार भी होती है। यूपी में पुराने नियमों में लगभग 40 से अधिक मानक थे, जिनमें असमानताएं और जटिलताएं थीं। इससे न केवल आम जनता को संपत्ति खरीदी में दिक्कत होती थी, बल्कि स्टांप चोरी और कानूनी विवाद भी बढ़ते थे। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने सर्किल रेट के मानकों को घटाकर मात्र 15-20 कर दिया है, जिससे नियम अधिक सरल और पारदर्शी बने हैं। यह बदलाव पूरे प्रदेश में लागू कर दिए गए हैं

नए नियमों की मुख्य विशेषताएं!
- प्रदेश के सभी जिलों में सर्किल रेट के लिए तीन मुख्य मानक तय किए गए हैं: नगरीय क्षेत्र, अर्द्ध नगरीय क्षेत्र, और ग्रामीण क्षेत्र। इससे पहले के ‘विकसित’, ‘विकासशील’ और ‘अविकसित’ जैसी श्रेणियाँ समाप्त कर दी गई हैं।
- गलियों की संपत्तियों के लिए मुख्य सड़क का सर्किल रेट लागू नहीं होगा, जिससे गलियों में संपत्ति की कीमतें अधिक होगी, और लोग अब उचित दरों पर रजिस्ट्री करवा सकेंगे।
- अब वनस्पति एवं पेड़ों समेत कृषि भूमि के मूल्यांकन के लिए भी एक समान नियम बनाए गए हैं।
- भवनों की निर्माण आयु के आधार पर 20 से 50 प्रतिशत तक मूल्यह्रास की व्यवस्था की गई है, जिससे पुरानी संपत्तियों का मूल्यांकन उचित होगा।
- व्यावसायिक परिसरों जैसे होटल, अस्पताल, पेट्रोल पंप, कोचिंग सेंटर आदि के लिए विशेष दरें निर्धारित की गई हैं ताकि उनके मूल्यांकन में स्पष्टता रहे।
- ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से आम लोग अपने जमीन के सर्किल रेट की जांच स्वयं कर सकेंगे और रजिस्ट्री के लिए स्लॉट बुकिंग भी कर सकेंगे। इससे बिचौलियों और वकीलों की जरूरत कम होगी
बदलाव से लोगों को क्या लाभ होगा
- संपत्ति की खरीद-बिक्री प्रक्रिया अब ज्यादा पारदर्शी, सरल और त्वरित होगी।
- स्टांप चोरी और गैरकानूनी रजिस्ट्री की संभावना घटेगी क्योंकि सभी के लिए एकसमान और सार्वजनिक मानक लागू होंगे।
- आम लोग बिना किसी मदद के अपनी जमीन का मूल्यांकन देख कर और रजिस्ट्री करवा सकेंगे, जिससे वकीलों और एजेंटों पर निर्भरता कम होगी।
- किसानों को भी अपने खेत और कृषि भूमि की उचित कीमत मिलने से लाभ होगा
- खासकर जब वे मुआवजा या भूमि विक्रय करते हैं।
- पूरे प्रदेश में समान सर्किल रेट के नियमन से प्रॉपर्टी मार्केट में असमानता समाप्त होगी
- जिसका सकारात्मक असर रियल एस्टेट निवेश और विकास पर पड़ेगा।
विस्तृत उदाहरण और लागू होने वाली प्रक्रिया
- मान लीजिए कि कोई व्यक्ति लखनऊ के अर्द्ध नगरीय क्षेत्र में जमीन खरीदना चाहता है
- तो उसे अब 40 से अधिक मानकों के जाल में नहीं फंसना होगा। वह सीधे ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर संबंधित
- इलाके का सर्किल रेट देख सकता है और अपनी संपत्ति का मूल्यांकन करवा सकता है। इसके बाद वह रजिस्ट्री
- के लिए स्लॉट बुक कर, स्वयं या कम सहायता लेकर संपत्ति की खरीद पूरी कर सकता है।
- इसी तरह, अगर कोई किसान अपनी कृषि भूमि बेचता है, तो उसकी जमीन का मूल्यांकन पेड़ों, सड़क
- के निकटतम स्थान, और भूमि की उपयोगिता के आधार पर होगा, जिससे उसे उचित मूल्य मिलेगा।
इस प्रक्रिया में शामिल मुख्य बिंदु हैं:
- समान दर सूची का प्रदेशव्यापी क्रियान्वयन
- सर्किल रेट को तीन श्रेणियों में बाँटना (नगरीय, अर्द्ध नगरीय, ग्रामीण)
- कृषि भूमि, व्यावसायिक परिसरों व आवासीय संपत्तियों के लिए अलग-अलग दर निर्धारण
- भवन की उम्र के हिसाब से मूल्य घटाव की व्यवस्था
- ऑनलाइन मूल्यांकन व स्लॉट बुकिंग सुविधा












